वाईएसआरसीपी ने आज भी आंध्र प्रदेश की विधानसभा में जमकर हंगामा जारी रखा। पार्टी के नेता लगातार वाईएसआरसीपी को मुख्य विपक्षी दल घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं। बुधवार को अध्यक्ष सी अय्यन्ना पात्रुडू ने पार्टी के मुखिया जगन मोहन रेड्डी के विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री जगन के एलओपी के रूप में मान्यता दिए जाने के आग्रह को सही नहीं बताते हुए पत्रुडू ने कहा कि कानून के अनुसार इस पद के लिए पार्टियों के पास कम से कम 18 सदस्य होने चाहिए।
वाईएसआरसीपी को पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त मिली थी। पार्टी महज 175 में से 11 सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी। साल 2019 के चुनावों में वाईएसआरसीपी के 151 सदस्य थे। 24 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने के बाद से यह दूसरी बार है जब वाईएसआरसीपी ने सदन में विपक्ष के नेता की मांग उठाई है। मंत्री एन लोकेश नायडू ने भी विधानसभा में स्पीकर के रुख का समर्थन करते हुए बयान दिया। हालांकि, जगन ने स्पीकर के फैसले का विरोध किया।
आम आदमी पार्टी का दिया उदाहरण
जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा में बोलते हुए कहा, ‘आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को विपक्षी दल का दर्जा दिया था, जबकि उसके पास केवल तीन सदस्य थे। हम आंध्र प्रदेश में अकेले विपक्ष हैं।’ उन्होंने टीडीपी के नेतृत्व वाली चंद्रबाबू नायडू सरकार पर संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘विधानसभा में एकमात्र विपक्षी दल को सदन में ठीक से काम नहीं करने दिया, बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया।’
जगन मोहन रेड्डी ने PM Modi को लिखी चिट्ठी
कौन होगा विपक्ष – जगन मोहन रेड्डी ने पूछा सवाल
जगन मोहन रेड्डी ने कहा, ‘अगर विधानसभा में विपक्षी दल को अनुमति नहीं दी गई तो लोगों की आवाज कैसे सुनी जाएगी। हमें 40 प्रतिशत वोट मिले और अगर हमें विपक्ष का दर्जा दिया गया तो विपक्ष कौन होगा?’ अध्यक्ष ने जगन को याद दिलाया कि विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने के लिए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में उनकी रिट याचिका अभी भी लंबित है। उन्होंने चेतावनी दी कि उनके आरोप विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के समान हो सकते हैं।
पिछले साल चुनावों के बाद से मांग रहे एलओपी का दर्जा
वाईएसआरसीपी पिछले साल के चुनावों के बाद से ही एलओपी का दर्जा मांग रही है, जगन ने पिछले साल जून में इस बारे में स्पीकर को पत्र भी लिखा था। 26 फरवरी को आंध्र प्रदेश विधान परिषद और विधानसभा के संयुक्त सत्र में राज्यपाल एस अब्दुल नजीर के संबोधन के दौरान हंगामा देखने को मिला, जिसमें वाईएसआरसीपी ने इस मुद्दे पर सत्र से वॉकआउट कर दिया। जगन मोहन रेड्डी को कितना प्रभावित कर पाएगा लड्डू विवाद