Jadavpur University (JU): अगर पचिम बंगाल सरकार अपने खजाने से 2000 करोड़ रुपये खर्च नहीं करती तो जादवपुर यूनिवर्सिटी से ‘इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (IoE) का दर्जा छिन सकता है। जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी को इस हफ्ते चिट्ठी लिखकर सूचित किया है कि यूनिवर्सिटी को ‘एमिनेंस’ का दर्जा दिए जाने के लिए कितना खर्च आएगा।
अगर बंगाल सरकार इस रकम देने के लिए राजी नहीं होती तो IoE का दर्जा वेटिंग लिस्ट के अगले संस्थानों यानी सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को चला जाएगा। केंद्रीय मंत्रालय की ओर से भेजी गई चिट्ठी के मुताबिक, ‘यह सूचित किया जाता है कि जादवपुर यूनिवर्सिटी की ओर से दखिल प्रस्ताव के मुताबिक, पांच साल की समयावधि में IoE के लक्ष्यों को पाने का खर्च करीब 3000 करोड़ रुपये अनुमानित है। स्कीम के तहत केंद्र सरकार पांच साल में कुल मांग का 50 से 75 फीसदी तक फंड या 1000 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, देगी। बाकी की रकम का वहन राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी करेगी।’
बता दें कि IoE से जुड़े बनाए गए नियमों का मकसद 10 सरकारी और 10 निजी शिक्षण संस्थानों को वर्ल्ड क्लास संस्थानों के तौर पर विकसित करना है। फिलहाल भारतीय शिक्षण संस्थानों की इंटरनैशनल रैंकिंग में प्रतिनिधित्व न के बराबर है। प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा प्राप्त शिक्षण संस्थानों को अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों की तुलना में ज्यादा स्वायत्तता होगी।
उदाहरण के तौर पर ऐसे संस्थान स्थानीय और विदेशी छात्रों के लिए फीस तय कर सकेंगे। इसके अलावा, कोर्स की रूपरेखा और समयावधि तय करने की भी आजादी होगी। 10 सरकारी संस्थानों में से हर एक को मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से 1000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। हालांकि, सरकार निजी शिक्षण संस्थानों को कोई वित्तीय मदद नहीं करेगी।
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बता दें कि बीते हफ्ते यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) ने 14 शिक्षण संस्थानों के नामों का ऐलान किया था जिन्हें इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस के दर्जे के लिए चुना गया। इनमें जादवपुर यूनिवर्सिटी का भी नाम शामिल था। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने आखिरी मिनटों में यह शर्त रखी कि राज्य सरकार को भी उतनी ही रकम देनी होगी।