नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में अब भी प्रदर्शन जारी है। लोग अलग-अलग अंदाज़ में इसका विरोध कर रहे हैं। कई विश्वविद्यालयों के छात्र सड़कों पर मार्च निकाल कर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी से कानून के विरोध की एक अनोखी तस्वीर सामने आई है। दीक्षांत समारोह के दौरान एक गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा ने कानून का विरोध करते हुए मंच पर आकर सबके सामने कानून की कॉपी को फाड़ दिया। छात्रा ने कानून फाड़कर इंकलाब ज़िंदाबाद का नारा भी लगाया।

छात्रा का कानून फाड़ते हुए ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक दीक्षांत समारोह के दौरान देबोस्मिता चौधरी नाम की छात्रा मंच पर पहुंची और अपनी एमए की डिग्री और मेडल लेने के बाद मंच पर ही नागरिकता संशोधन कानून की प्रति फाड़कर अपना विरोध दर्ज कराया। छात्रा ने नागरिकता संशोधन कानून की प्रति फाड़ते हुए कहा, ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे, इंकलाब जिंदाबाद।’ छात्रा ने जब ये सब किया तो उस दौरान मंच पर कुलपति, उपकुलपति और रजिस्ट्रार मौजूद थे।

छात्रा का वीडियो पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्विटर पर शेयर किया है। इस वीडियो पर काफी सारी प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। कुछ लोगों ने छात्रा का समर्थन किया है वहीं कुछ यूजर्स ने उन्हें ट्रोल भी किया है। एक यूजर ने इस वीडियो पर लिखा “उसने अपनी डिग्री क्यों नहीं फाड़ी, क्योंकि शिक्षा का कोई मतलब नहीं है।

बता दें पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करने की बात कही है। इस पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मैं दोनों मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि वह ऐसे कदम ना उठाएं और अपने फैसले पर फिर से विचार करें। अपनी राजनीति के लिए गरीबों को विकास कार्यक्रमों से वंचित ना करें।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि एनपीआर और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप (एनआरसी) में कोई संबंध नहीं है। अमित शाह ने कहा है कि यह संभव है कि जनगणना (एनपीआर) में कुछ नाम छूट जाए, लेकिन इससे उनकी नागरिकता नहीं जाएगी क्योंकि यह एनआरसी की प्रक्रिया नहीं है। एनआरसी एक अलग प्रक्रिया है। मैं साफ करना चाहता हूं कि एनपीआर के चलते किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।