अरुणाचल प्रदेश में एक खड़ी चट्टान से 200 मीटर नीचे गिरे ट्रक में सवार 22 लोगों में से एक शख्स जिंदा बचा है। डॉ. ध्रुबज्योति भुयान ने जिंदा बचे हुए बुधेश्वर दीप के जिंदा बचने का वर्णन करते हुए कहा, “चमत्कार शब्द यहां बिल्कुल सटीक है।” असम के डिब्रूगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती दीप की हालत ऐसी है कि बचाव दल अब तक खाई से केवल छह शव ही बरामद कर पाए हैं।
बचाव दल के सामने मौजूद चुनौतियां इस चमत्कार की भयावहता को रेखांकित करती हैं। अब पूरी दुर्घटना की बात करें तो यह 8 दिसंबर की शाम को चीन बॉर्डर के पास एक दूरस्थ पहाड़ी इलाके में घटी। असम के तिनसुकिया के रहने वाले 22 लोगों को ले जा रहा एक मिनी-ट्रक संकरी पहाड़ी सड़क से फिसलकर खाई में गिर गया। दो दिन बाद इसका पता तब चला जब दीप खाई से बाहर निकला और बुधवार शाम को रोड टॉस्क फोर्स के कैंप में पहुंचकर अधिकारियों को जानकारी दी।
बचाव अभियान में आ रही मुश्किलें
गुरुवार को मलबा लगभग 250 मीटर नीचे मिला। एनडीआरएफ और इंडियन आर्मी की एक्सपर्ट की टीमों के पहुंचने के बाद ही शुक्रवार को बचाव कार्य शुरू हो सका। जल्दी सूर्यास्त होने की वजह से बचाव अभियान शाम 4 बजे खत्म हो गया और छह शव बरामद किए गए। सेना के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सड़क के किनारे पहाड़ की ढलान लगभग 90 डिग्री की है। जिससे शवों को निकालना मुश्किल हो रहा है। वहां सेना की 14 टुकड़ियां तैनात हैं और शुक्रवार को पर्वतारोहण में विशेषज्ञता रखने वाले कुछ विशेष सैनिकों को भी वहां भेजा गया है।”
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एसपी ने क्या बताया?
अंजॉ एसपी अनुराग द्विवेदी ने बताया कि 200-250 मीटर की गहराई से शव निकाले गए हैं, लेकिन सभी शव नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, “हमें सत्रह शव दिखाई दिए हैं। दिखाई देने वाले शवों को निकालने के बाद, अगला कदम मलबे की जांच करना होगा।” अधिकारियों को अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि दीप कैसे बच गया और बाहर निकल पाया। द्विवेदी ने कहा, “उसकी हालत बहुत स्थिर नहीं थी। इसलिए हमने उससे इस बारे में ज्यादा विस्तार से नहीं पूछा है।”
असम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में डॉ. भुयान ने बताया कि दीप की कूल्हे की हड्डी टूट गई थी और फेफड़ों और मस्तिष्क में चोटें आई थीं, लेकिन उनकी हालत स्थिर थी। उन्होंने कहा, “इन चोटों के बावजूद, वह एक खड़ी पहाड़ी पर चढ़ गया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।” उन्होंने आगे बताया कि दीप ने उनसे सिर्फ इतना कहा, “बोगई बोगई उलालू (मैं किसी तरह बाहर निकल आया)।”
दिहाड़ी मजदूर थे ज्यादातर लोग
ट्रक में सवार ज्यादातर लोगों की तरह दीप भी तिनसुकिया के गेलापुखुरी चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों की कतारों में रहता था। तिनसुकिया के विधायक संजय किशन ने बताया कि ड्राइवर और एक मजदूर को छोड़कर बाकी सभी बागान के ही थे। रोशनी कुमारी ने बताया कि वे दिहाड़ी मजदूर थे और दिहाड़ी काम के लिए निकले थे । उन्होंने कहा, “अभी तक हमें कोई खबर नहीं मिली है। हमने बस इतना सुना है कि शव आने वाले हैं।” एसपी द्विवेदी ने बताया कि ठेकेदार से पूछताछ की गई लेकिन उसे छोड़ दिया गया।
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