Justice Hemant Gupta: कर्नाटक हिजाब मामले में प्रतिबंध बरकरार रखने के पक्ष में फैसला देने वाले जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि एक जज का काम लोगों को खुश करना नहीं है। उन्होंने कहा कि जज का काम ऐसा होता है कि वादी-प्रतिवादी पक्ष में से कोई एक तो दुखी होगा।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के रूप में जस्टिस हेमंत गुप्ता के अंतिम कार्य दिवस पर आयोजित विदाई समारोह के दौरान उन्होंने यह बात कही। जस्टिस गुप्ता ने कहा, “एक न्यायाधीश लोगों को खुश नहीं कर सकता है क्योंकि उनको ऐसी भूमिका नहीं मिली है।यह भूमिका सार्वजनिक जीवन में अन्य लोगों को सौंपी गई है।”
लोगों को खुश करने के लिए नहीं कर सकता जज काम: उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लोगों को खुश करने के इरादे से एक जज अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता। इस दौरान जस्टिस गुप्ता ने कहा, “मैं अदालत में कठोर रहा लेकिन आदेश मेरी समझ के अनुसार पारित किए गए। सबसे महत्वपूर्ण मेरी आंतरिक संतुष्टि है कि मैंने संस्थान को सर्वश्रेष्ठ दिया है। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मैंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन अत्यंत विनम्रता और ईमानदारी के साथ करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि कभी-कभी मैं अपना आपा खो देता हूं। कोई भी पूर्ण नहीं है। मैं पूर्णता के लिए कोई दावा नहीं कर सकता। जब मैंने गलती की तो यह अनजाने में हुआ है। “
सीजेआई ने कहा हम सबसे महान हैं वह: वहीं, जस्टिस गुप्ता के रिटायरमेंट पर सीजेआई ललित ने कहा कि वह कहीं अधिक महान हैं हम में से किसी से भी। उन्होंने जो कुछ भी किया है, कोई भी फैसला दो सप्ताह के समय में तैयार हो जाता। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसे तुरंत निर्णय लिखने का समय मिल जाएगा। 20 साल की कड़ी मेहनत बहुत मायने रखती है। वह उनके योगदान के माध्यम से हमेशा हमारे साथ रहेंगे।”
सीजेआई ने कहा, “न्यायाधीश हेमंत गुप्ता संस्था के लिए हमेशा एक बेहतरीन प्रतिभा रहे हैं। उन्हें जो भी काम सौंपा गया उसके निर्धारण के लिए हमेशा अपनी क्षमता के अनुरूप काम किया तथा भरपूर योगदान की कोशिश की।”