बेटी के ससुराल में परिवार या दोस्तों का ज्यादा समय तक रहना क्रूरता के दायरे में आता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले में पति को इसी आधार पर तलाक की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी ससुराल में मौजूद नहीं है, इसके बावजूद उसके परिवार के लोग और दोस्त उसकी ससुराल में टिके रहते हैं तो यह क्रूरता के दायरे में आता है। पति ने शादी के तीन साल बाद ही कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी।

क्या था पूरा मामला?

मामला पश्चिम बंगाल का है। 2008 में हुई शादी के तीन साल बाद पति ने तलाक के लिए अर्जी दाखिल की। इसमें पति की ओर से कहा गया कि उसकी पत्नी वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती है। दोनों की शादी पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में हुई थी। शादी के बाद वह कोलाघाट चले गए। कुछ दिन बाद ही पत्नी कोलकाता के नारकेलडांगा चली गई। पत्नी का कहना था कि उसका ऑफिस नारकेलडांगा में है इसलिए वह वहीं रहना चाहती है।

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पति का आरोप था कि 2008 में पत्नी के नारकेलगांडा चले जाने के बाद भी उसके परिवारवाले और दोस्त कोलाघाट स्थित घर पर रहते रहे। पति ने इस आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया कि वे अलग-अलग रह रहे थे और पत्नी उसके साथ वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती थी। इस मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने कहा कि यह क्रूरता के दायरे में आता है। इस मामले को लेकर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दे दी।