ISRO Scientist Valarmathi Death: भारत के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सैटेलाइट RISAT-1 की परियोजना निदेशक और इसरो की वैज्ञानिक एन वालारमथी (N Valarmathi) की शनिवार शाम चेन्नई में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट काउंटडाउन लॉन्च कराए जाने की मुख्य भूमिका में थीं। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 की अंतिम उलटी गिनती उनकी मौजूदगी में ही हुई थी। वैज्ञानिक एन. वालारमथी तमिलनाडु की अरियलुर की रहने वाली थीं।
इसरो के पूर्व निदेशक ने X पर लिखा- अगले मिशन में नहीं होगी मैडम की आवाज
इसरो के पूर्व निदेशक मटेरियल और रॉकेट विनिर्माण विशेषज्ञ डॉ. पीवी वेंकीटाकृष्णन (Dr. PV Venkitakrishnan) ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा, “श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की उलटी गिनती में एन वालारमथी मैडम की आवाज नहीं होगी। चंद्रयान 3 उनकी अंतिम उलटी गिनती की घोषणा थी।”
पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन चुका है चंद्रयान-3
भारत का चंद्रयान 3 मिशन पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन चुका है। इतिहास रचते हुए सबसे पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तो लैंडिंग की ही गई, इसके अलावा प्रज्ञान रोवर ने कई अहम जानकारी जुटाने का भी काम किया। लेकिन अब प्रज्ञान सो गया है, उसने अपना मिशन पूरा कर लिया है। उसे जो जानकारी देनी थी, वो धरती तक पहुंच चुकी है। ये बात इसरो ने खुद अपने ट्विटर हैंडल के जरिए शेयर की है।
इसरो ने बताया है कि प्रज्ञान रोवर को एक सुरक्षित जगह पर पार्क कर दिया गया है, वो अब स्लीपिंग मोड में चला गया है। इसके अलावा एपीएक्सएस फ्लोड्स को भी बंद कर दिया गया है। अब ये सब इसलिए किया गया है क्योंकि फ्लोड्स में भी जितनी भी जानकारी मौजूद थी, वो धरती तक पहुंच चुकी है। यहां ये समझना जरूरी है कि प्रज्ञान को स्लीपिंग मोड में डाला गया है, लेकिन उसकी बैटरी पूरी तरह चार्ज है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने शनिवार (2 सितंबर 2023) को अपने पहले सूर्य मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। ISRO का आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य की 125 दिन की अपनी यात्रा पर रवाना हो चुका है। इसके साथ इसरो अब अपने अगले मिशन की तैयारी में जुट गया है। इसरो का अगला मिशन क्या होगा? इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने देते हुए बताया, ‘अगला कदम गगनयान के पहले परीक्षण उड़ान को शुरू करना होगा। उन्होंने कहा कि यह उड़ान अक्टूबर के महीने में हो सकती है। सिंह ने कहा कि आदित्य-L1 के सफल प्रक्षेपण से पता चलता है कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन रहा है।’