भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी जल्द ही गगनयान मिशन के लिए मानव रहित उड़ान का परीक्षण शुरू करेगी। भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना का एबॉर्ट टेस्ट 25 अक्टूबर 2023 को होने की संभावना है। इसमें कोई चालक दल नहीं होगा।

इसरो ने एक बयान में कहा, ‘फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-डD1) की तैयारी चल रही है, जो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को प्रदर्शित करता है।’ टेस्ट व्हिकल टीवी-डी1 इस एबॉर्ट मिशन के लिए विकसित एक सिंगल-स्टेज लिक्विड रॉकेट है। पेलोड में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम शामिल हैं।

भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन

यह एबॉर्ट टेस्ट भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए है, जिसे 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। इसरो सूत्रों के अनुसार, पहला विकास उड़ान परीक्षण वाहन (टीवी-डी1) जो तैयारी के अंतिम चरण में है, यह चार मिशनों में से पहला होगा। इसमें कोई चालक दल नहीं होगा, और इसका उद्देश्य बचाव प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना और मुख्य गगनयान मिशन के दौरान संभावित आपात स्थिति के मामले में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जो तीन भारतीयों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष में ले जाएगा।

ISRO पर हर रोज होते हैं 100 से ज्यादा साइबर हमले

वहीं, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ का कहना है कि देश की अतंरिक्ष एजेंसी हर रोज करीब 100 से अधिक साइबर हमलों का सामना कर रही है। कोच्चि में एक कार्यक्रम में सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट तकनीक में साइबर हमलों की संभावना बहुत अधिक है। साइबर आरोपी अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर और चिप का उपयोग करते हैं। हालांकि, इसरो ऐसे हमलों से निपटने के लिए तैयार है। हम मजबूत साइबर सुरक्षा नेटवर्क से लैस हैं। इसरो रॉकेट के अंदर हार्डवेयर चिप्स की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, इसके लिए वह विभिन्न परीक्षण कर रहा है।

ISRO चीफ ने कहा कि प्रौद्योगिकी एक वरदान भी है और खतरा भी। उन्होंने कहा, “हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर साइबर अपराधियों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना उसी तकनीक से कर सकते हैं। इस दिशा में शोध और कड़ी मेहनत होनी चाहिए।”