ISRO Next Generation Launch Vehicle (NGLV): केंद्र सरकार ने 7 जनवरी को वी. नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नया निदेशक नियुक्त किया था और उन्होंने 14 जनवरी को कार्यभार संभाला था। कार्यभार संभालने से ठीक पहले डॉ. वी. नारायणन अपने गृहनगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के एक छोटे से गांव मेलाकट्टुविलई में मंदिर गए थे। डॉ. वी. नारायणन यह देखकर हैरान रह गए थे कि वहां लगभग 600 लोग उन्हें इस पद पर चुने जाने के लिए बधाई देने के लिए इकट्ठा हुए थे।
डॉ. वी. नारायणन किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई कैरोसिन (मिट्टी के तेल) से की है क्योंकि तब उनके घर में पहली बार बिजली आई थी।
डॉ. वी. नारायणन पढ़ाई में काफी अच्छे थे और वह देश के क्रायोजेनिक इंजन प्रोग्राम को खड़ा करने वालों में से एक हैं। उनकी टीम ने डिजाइन बोर्ड से लेकर पहली उड़ान तक क्रायोजेनिक इंजन के विकास का काम रिकॉर्ड वक्त में पूरा किया। यह इंजन भारत के सबसे भारी लॉन्च वाहन LVM3 को ताकत देता है। यह लोगों को अंतरिक्ष में ले जाने का काम भी करेगा।
आईआईटी खड़गपुर से की पीएचडी
डॉ. वी. नारायणन ने द इंडियन एक्सप्रेस को इंटरव्यू में बताया कि उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे चाहिए थे इसलिए उन्हें नौकरी करनी पड़ी। सरकारी नौकरी की कोशिश में उन्होंने टीआई साइकिल्स, मद्रास रबर फैक्ट्री और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में काम किया और अंत में वह इसरो में जगह बनाने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी की और क्रायोजेनिक प्रोग्राम के साथ इसरो में अपना सफर शुरू किया।
डॉ वी. नारायणन ने इंटरव्यू में बताया कि भारत एक लंबा सफर तय कर चुका है। अब तक हमने छह जेनरेशन को डेवलप किया है और अब हम सातवीं जेनरेशन के तौर पर नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) पर काम कर रहे हैं। इसमें पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 हजार किलो का वजन ले जाने की क्षमता होगी। Mark III (LVM3) (जिसे पहले GSLV MK-III कहा जाता था) रॉकेट के साथ हमारी मौजूदा क्षमता लगभग 8,500 किलोग्राम है।
91 मीटर ऊंचा होगा NGLV
वी. नारायणन ने बताया कि NGLV 91 मीटर ऊंचा होगा और यह लगभग 30 मंजिला इमारत जितना होगा जबकि Mk III की ऊंचाई 43 मीटर है। उन्होंने बताया कि NGLV थ्री स्टेज वाला वाहन होगा जिसमें नई प्रोपल्शन प्रणाली होगी और इसमें ईंधन के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन और मीथेन का उपयोग किया जाएगा। पहला चरण 450 टन लिक्विड प्रोपेलेंट का होगा, जिसमें नौ क्लस्टर्ड इंजन होंगे। दूसरा चरण 120 टन प्रोपेलेंट का होगा, जिसे दो इंजनों द्वारा चलाया जाएगा। तीसरा चरण क्रायोजेनिक चरण C32 होगा, जिसके तीसरे वर्जन को विकसित किया जा रहा है।
गगनयान मिशन और मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्या स्थिति है, इस सवाल के जवाब में वी. नारायणन ने कहा कि लॉन्च वाहन की ह्यूमन रेटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। लॉन्च वाहन के सभी तीन चरणों के लिए जरूरी परीक्षण भी किए जा चुके हैं। चंद्रमा मिशन को लेकर उन्होंने कहा कि भारत दो मिशन पर काम कर रहा है। हमारा खुद का चंद्रयान-4 और जापान के साथ LUPEX मिशन।
ISRO की आगे की योजना के बारे में वी. नारायणन ने बताया कि हमें पहले से ही एक रोडमैप दिया गया है। उन्होंने बताया कि इसरो का 100वां लॉन्च इस महीने के अंत में होगा। यह NVS-02 का लॉन्च होगा, जो नेविगेशन सैटेलाइट की दूसरी पीढ़ी का दूसरा उपग्रह है। प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं और अब निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी है।
क्लिक कर पढ़िए क्या है Spadex मिशन जिसके लॉन्च होने से एलीट क्लब में पहुंचेगा भारत।