इजरायल, ईरान की तुलना में एक काफी छोटा देश है। उसकी सेना, उसनी नौसेना अभी ईरान के सामने कही नहीं टिकती है। बात जब जंगी जहाजों की आती है, टैंकरों की आती है, वहां भी ईरान ही बाजी मारता है। इसी वजह से पहली नजर में माना गया कि अगर ईरान, इजरायल पर हमला करेगा, नेतन्याहू का देश बर्बाद हो जाएगा, वहां पर भारी तबाही देखने को मिलेगी। लेकिन सच्चाई इससे कोसो दूर है, ईरान की 200 मिसाइलें भी इजरायल का कुछ नहीं बिगाड़ पाई हैं। इजरायल के ‘सुरक्षा कवच’ ने सही मायनों में उसकी रक्षा की है।

इजरायल का आयरन डोम कैसे काम करता है?

इजरायल के इस सुरक्षा कवच का नाम आयरन डोम है। आयरन डोम एक ऐसा सिस्टम है जो आसमान से आने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है। यानी कि वो मिसाइलें इससे पहले इजरायल को नुकसान पहुंचाएं, उन्हें ही नुकसान पहुंचा दुश्मनों के मंसूबों पर पानी फेर दिया जाता है। असल में आयरन डोम के काम करने के कुल तीन चरण होते हैं। पहले चरण में तो दुश्मन की मिसाइल को ट्रैक करने का काम होता है। इजरायल का एक सेंटर बना हुआ है जो देखता है कि दुश्मन की दागी हुई मिसाइल कितनी दूर जाने वाली है, कहां जाकर गिर सकती है। वहां भी फिर शॉर्टलिस्ट किया जाता है कि कौन सी मिसाइल रिहायशी इलाके में जाएगी और कौन सी खाली बस्ती पर गिरेगी।

‘अग्निवीर’ जैसी योजना से ताकतवर बनी इजरायली सेना?

इजरायल की प्राथमिकता उन मिसाइलों को रोकने की होती है जो रिहायशी इलाकों में गिरने वाली होती हैं। इसके बाद मिसाइल फायर यूनिट एक्टिव होता है और दुश्मन के वार को नाकाम कर दिया जाता है। अब इसी पूरे सिस्टम का नाम आयरन डोम रखा गया है। इजरायल ने 2006 से ही इसे बनाने की शुरुआत कर दी थी। यह काफी महंगा तो है ही, दुनिया में पहला ऐसा अनोखा सिस्टम भी माना जाता है। इसकी सक्सेस रेट 98 फीसदी तक आकी गई है।

भारत की ताकत पर भी होना चाहिए गुरूर

अब इजरायल इतना ताकतवर ही अपने इस सिस्टम की वजह है, लेकिन सवाल मन में आता है क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत भी खुद को सुरक्षित कर सकता है। मान लीजिए अगर पाकिस्तान और चीन हम पर मिसाइलें दागें, अगर उनकी तरफ से भी किसी ऐसे हमले को अंजाम दे दिया जाए, क्या भारत अपनी रक्षा कर पाएगा? क्या हमारे पास आयरन डोम जैसी कोई तकनीक मौजूद है? क्या हम भी दुश्मन की मिसाइलों को ट्रैक कर उड़ा सकते हैं? अब इस सवाल का जवाब हां है क्योंकि भारत ने भी समय के साथ और जरूरत के हिसाब से काफी तरक्की की है।

उसके पास भी कई ऐसे सिस्टम मौजूद हैं जिनका काम दुश्मनों की मिसाइलों को ही नष्ट करने का है। बहस इस बात पर जरूर होती है क्या वो सिस्टम इजरायल के आयरन डोम जितने ताकतवर और सटीक हैं? लेकिन इतना जरूर है कि अगर चीन-पाकिस्तान हमला करेंगे, उन्हें भी मुंहतोड़ जवाब के लिए तैयार रहना होगा। लॉन्ग रेंज से लेकर छोटी रेंज की मिसाइल तक को भारत आसानी से नष्ट कर सकता है। ऐसे में अगर उसे अपने इलाकों की रक्षा करनी है तो उसके पास जरूरी टेक्नोलॉजी मौजूद है।

भारत का S-400 सिस्टम

वर्तंमान में भारत के पास सबसे बड़ा हथियार S-400 सिस्टम है। इस सिस्टम के जरिए एक बार भी सेना 72 मिसाइलें दाग सकती है। इससे दागी गई मिसाइलें ऐसी रहती हैं जिन्हें दुश्मन के लिए डिटेक्ट करना काफी मुश्किल होता है। इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती है, लेकिन निशाना एकदम अचूक रहता है। इस सिस्टम के जरिए भारत आसानी से 40 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर तक की रेंज वाली मिसाइलें छोड़ सकता है। इसके ऊपर S-400 सिस्टम का अत्याधुनिक रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज को कवर करता है, ऐसे में दुश्मन की जो भी मिसाइलें होंगी, फिर चाहे वो ड्रोन से छोड़ी गई हों या किसी दूसरे तरीके से, उन्हें नष्ट करना आसान है। बड़ी बात यह है कि यह सिस्टम माइनस 50 से लेकर 70 डिग्री तक के तापमान में जबरदस्त तरीके से काम कर सकता है।

इजरायल की तरह क्या भारत भी कर सकता है हमला?

आकाश मिसाइल सिस्टम

लोगों को इस बात की शायद जानकारी नहीं है कि S-400 के अलावा भी भारत के पास कई ऐसे सिस्टम मौजूद हैं जो पाक-चीन जैसे दुश्मनों को सबक सिखा सकते हैं। इसी लिस्ट में नाम आता है आकाश मिसाइल सिस्टम का। तीन वैरिएंट वाला यह सिस्टम भी मिसाइलों को आसानी से आसमान में ही ध्वस्त करने की ताकत रखता है। इस सिस्टम से चार तरह की मिसाइलों को छोड़ा जा सकता है। पहली मिसाइल आकाश एमके होती है जिसकी रेंज 30 किलोमीटर बताई गई है। दूसरी मिसाइल एमके 2 होती है जिसकी रेंज 40 किलोमीट रहती है, वही तीसरी मिसाइल की रेंज 80 किलोमीटर बताई जाती है। बड़ी बात यह है इस सिस्टम से अगर मिसाइल को दागा जाए तो 20 किलोमीटर तक ऊंचाई तक जाकर भी दुश्मन के हमले का जवाब दिया जा सकता है।

जानकार बताते हैं कि युद्ध के वक्त जब एक से ज्यादा मिसाइलों को ट्रैक करना होता है तब भी यह आकाश सिस्टम ही कारगर साबित होता है। असल में इसमें एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे मल्टी फंक्शन रडार लगा हुआ है जो एक से ज्यादा मिसाइलों को स्कैन करने का काम करता है। वर्तमान में भी यह सिस्टम चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच LAC पर तैनात है।

MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम

MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम को भारत की सुरक्षा के लिए लाइफलाइन माना जा सकता है। अगर चीन और पाकिस्तान के हेलीकॉप्टर भारत के एयरस्पेस में हमला करने आएंगे, अगर उनकी क्रूज मिसाइलें अटैक करेंगी, भारत का MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम अपनी मिसाइसों ने उन सभी का सफाया कर देगा। इसकी रेंज जरूर सिर्फ 0.5 किलोमीटर से 100 किलोमीटर तक रहती है, लेकिन रफ्तार 2448 किलोमीटर प्रति घंटे की है। आसमन में 16 किलोमीटर तक की रेंज में जो भी मिसाइल होगी, उसका सफाया भारत का MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम आसानी से कर सकता है।

9K33 Osa AK डिफेंस सिस्टम

कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल की बात जब भी कही जाएगी, 9K33 Osa AK डिफेंस सिस्टम का जिक्र होना जरूरी है। भारत में पांच जवान मिलकर इस सिस्टम को ऑपरेट करते हैं और मिसाइलों को दागते हैं। इसकी रेंज 15 से 18 किलोमीटर के बीच में बताई गई है। यह मिसाइलें 3704 km/hr की स्पीड से दुश्मनों का सफाया कर सकती हैं। बीएमपी के 17.5 टन के जो वाहन होते हैं, उन पर इन मिसाइलों को फिट किया जाता है।