विवादों में घिरे रहने वाले इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक को दोहरा झटका लगा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मलेशिया में एक इस्लामिक इवेंट में उनके भाषण देने पर रोक लगा दी गई है, जबकि वहां की सरकार उनकी नागरिकता भी रद्द करती है। दरअसल, शुक्रवार (16 अगस्त, 2019) को वहां के प्रधानमंत्री डॉक्टर मातहिर मोहम्मद ने इस बात के संकेत दिए। उन्होंने कहा है कि नाईक अगर दोषी पाए गए, तब उनकी स्थाई नागरिका वापस ली जा सकती है।
मलेशियाई मीडिया में पीएम के हवाले से बताया गया, “अगर यह साबित हो गया कि जाकिर नाईक के कृत्यों से देशवासियों को नुकसान पहुंचा है, तब उनकी स्थाई नागरिकता वापस ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच-पड़ताल कर रही है।”
इसी बीच, मलेशियाई पुलिस ने 16-18 अगस्त को नाईक के होने वाले इस्लामिक कार्यक्रम में उनके संबोधन पर रोक लगा दी है। वहीं, एक मंत्री ने बताया कि पिछले हफ्ते दिए गए नस्लभेदी बयान को लेकर विवादित इस्लामिक प्रचारक को समन किया गया है।
बता दें कि नाईक करीब तीन साल से मलेशिया में हैं और उन्हें वहां की स्थाई नागरिकता भी मिल चुकी है। आठ अगस्त, 2019 को उन्होंने एक कार्यक्रम में यह कहकर नए विवाद को जन्म दे दिया था कि मलेशियाई हिंदू भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति अधिक वफादार हैं। तीन मंत्रियों ने नाईक के इस बयान पर उन्हें वहां से निकालने की मांग कर दी थी।
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कैबिनेट बैठक में बुधवार को नाईक के मसले पर वहां चर्चा भी हुई, जिसमें गृह मंत्री मुहयिद्दीन यासीन ने कहा था- मलेशियाई लोगों की संवेदनशीलता को दरकिनार करते हुए कुछ लोग फर्जी खबरें, अफवाहें और नस्लभेदी बयान फैला रहे हैं। मैं सभी (गैर-मलेशियाई नागरिक भी) को याद दिला दूं कि मेरे मंत्रालय के अधीन एजेंसियां उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में किसी प्रकार की भी हिचक नहीं दिखाएंगी, जो देश के सौहार्द और जनादेश को धमकाएंगे या ठेस पहुंचाएंगे।