बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के के कुछ दिनों बाद कोलकाता में ISKCON के प्रवक्ता ने दावा किया कि वीकेंड में 63 से अधिक संतों को बांग्लादेश के बेनापोल बंदरगाह पर रोक दिया गया और उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राधारमण दास ने कहा, “हमें खबर मिली कि शनिवार और रविवार को बांग्लादेश की तरफ बेनापोल सीमा पर 63 या उससे भी ज़्यादा ब्रह्मचारी आए थे। उन सभी के पास वीज़ा था और वे भारत में प्रवेश करना चाहते थे। हालांकि, बांग्लादेश के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि भारत उनके लिए सुरक्षित नहीं है और उन्हें भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।”

इस्कॉन के प्रवक्ता ने कहा, “ऐसा क्यों है? वैध वीज़ा वाले लोगों को बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है और ऐसे ही वीजा सही होने पर भारत से बांग्लादेश भी जा सकते हैं।”

इस्कॉन का आरोप- वीजा होने के बावजूद हमारे संतों को बांग्लादेश से भारत आने नहीं दिया गया

इस्कॉन, कोलकाता के उपाध्यक्ष दास ने आगे कहा, “अल्पसंख्यकों और हमारे साधु-संतों और ब्रह्मचारियों पर लगातार हो रहे अत्याचारों के बाद वे सभी डरे हुए हैं और दहशत में हैं। उनमें से कुछ के पास वीजा था और वे भारत आना चाहते थे। हम सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि हम चिन्मय कृष्ण दास के लिए भी प्रार्थना कर रहे हैं जिन्हें आज एक बार फिर अदालत में पेश किया जाएगा।”

इस्कॉन के अनुसार, 54 संत शनिवार को बांग्लादेश के बेनापोल बंदरगाह पहुंचे थे और रविवार दोपहर तक नौ अन्य भिक्षु वहां पहुंच गए।

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इस्कॉन ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

दास ने अपने एक्स हैंडल पर बांग्लादेश द्वारा इस्कॉन भिक्षुओं को भारत में प्रवेश करने से रोकने के बारे में भी पोस्ट किया। दास ने लिखा, “उनके पास सभी वैध भारतीय वीज़ा और अन्य दस्तावेज़ थे लेकिन बांग्लादेशी सीमा पुलिस ने कहा कि बांग्लादेशी खुफिया विभाग ने उन्हें भारत में प्रवेश न करने देने के लिए कहा है। उन्होंने पहले ही हमारे 4 ब्रह्मचारियों को गिरफ़्तार कर लिया है और अब अन्य ब्रह्मचारियों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। कृपया प्रार्थना करें।” इस्कॉन ने यह भी कहा है कि जेल में चिन्मय कृष्ण दास को दवा देने गए दो भिक्षुओं को भी पिछले शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था।

अदालत में पेश किए जाएंगे चिन्मय कृष्ण दास

इस बीच, सभी की निगाहें बांग्लादेश की शीर्ष अदालत पर टिकी हैं, जहां चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को पेश किया जाना है। सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के नेता दास को 25 नवंबर को बांग्लादेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अगले दिन चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और देशद्रोह के मामले में जेल भेज दिया था।

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन द्वारा लगाए गए नए आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बांग्लादेश ने पहले कहा था कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी को गलत तरीके से पेश किया गया था। साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि उनकी गिरफ़्तारी विशिष्ट आरोपों पर आधारित थी और देश में अल्पसंख्यकों पर कोई व्यवस्थित हमला नहीं हुआ है। पढ़ें- इस्कॉन के पुजारी की गिरफ्तारी क्यों? हिंदुओं पर अत्याचार के आरोपों को लेकर बांग्लादेश ने UN में दी सफाई