आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट (IS) के बारे में ‘सहयोगी खुफिया एजेंसियों’ के हवाले से नई जानकारी सामने आई है। इनके जरिये पता चला कि ISIS किस तरह अपने आतंकियों को भ्रम में रखकर आत्‍मघाती हमले अंजाम देता है? इसके अलावा यह भी पता चला है कि अगर कोई आतंकी एक बार ISIS में शामिल हो जाता है, तो फिर वह उसे वापस नहीं लौटने देता। खुफिया सूत्रों की मानें तो IS दक्षिण एशियाई देशों के आतंकियों को अपने संगठन में शामिल तो करता है, लेकिन उन पर भरोसा नहीं करता है। भारत, चीन, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश, चीन, सूडान और नाइजीरिया जैसे देशों के लड़ाकों को IS में कोई अहम जिम्‍मेदारी नहीं दी जाती है। ISIS की नजर में दक्षिण एशियाई आतंकी अरब देशों से आए कट्टरपंथियों की तुलना में कमजोर होते हैं। ISIS कमांडर्स भारत, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और चीन से आने वाले लड़ाकों के साथ शादी के मामले में भी दोयम दर्जे का बर्ताव करते हैं।

बिना बताए बना देते हैं फिदायीन

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, ISIS कमांडर्स दक्षिण एशियाई आतंकियों की जान की कोई कीमत नहीं समझते हैं। वे इन देशों के लड़ाकों को जंग में पहली पंक्ति में रखते हैं, ताकि अरब देशों के आतंकी सेफ रह सकें। कमजोर माने जाने वाले दक्षिण एशियाई लड़ाकों को ISIS कई बार बिना बताए ही आत्‍मघाती हमलावर के तौर पर इस्‍तेमाल कर लेता है। ISIS कमांडर्स आतंकी को निर्देश देते हैं कि उन्‍हें विस्‍फोटकों से लदा वाहन टारगेट के बेहद करीब तक लेकर जाना है और वहां पहुंचकर एक फोन कॉल करना है। आतंकी को यह नहीं पता होता कि फोन कॉल करते ही वह खुद उड़ जाएगा। इराक और सीरिया में ISIS इस प्रकार से कई आत्‍मघाती हमलों को अंजाम दे चुका है।

आतंकियों को दिखाया जाता है जिन्‍न का डर

दक्षिण एशियाई देशों से संगठन में शामिल होने वाले नए आतंकियों का ब्रेन वॉश करने के लिए ISIS खास तरीका अपनाता है। इन लड़ाकों को ‘जिन्‍न’ का डर दिखाकर यह सुनिश्चित किया जाता है, वे फिर कभी अपने घर न लौट सकें। उनसे कहा जाता है कि अगर वे अपने देश लौटकर गए तो फिर सारी जिंदगी वे जिन्‍न से पीछा नहीं छुड़ा सकेंगे। खुफिया सूत्रों का यह भी कहना है कि दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी देशों से आने वाले आतंकियों के पासपोर्ट, उसी वक्‍त जला दिए जाते हैं, जब वे इराक या सीरिया की धरती पर पहला कदम रखते हैं।

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