भारत की अपनी परंपराओं पर जोर देते हुए और इसके धर्मग्रंथों में रणनीति और राज्य-प्रबंधन के उदाहरणों को उजागर करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान भी महानतम राजनयिक थे और उन्होंने कहा कि एक महाभारत की कहानी के महान राजनयिक हैं, तो दूसरे रामायण के महान राजनयिक हैं। जब उनसे पूछा गया कि भारत के लिए एक जयशंकर ही काफी हैं, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि सवाल गलत है।
पुणे बुक फेस्टिवल में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “आपका सवाल यह होना चाहिए कि एक मोदी है। क्योंकि असली फर्क नेता और उसके विजन, आत्मविश्वास से पड़ता है। देश अपने नेताओं के विजन से पहचाने जाते हैं। उनके उस विजन को अमल में लाने वाले कई लोग होते हैं, लेखिन आखिरकार नेता ही मुख्य होता है।”
एस जयशंकर ने महाभारत और रामायण का किया जिक्र
विदेश मंत्री ने महाभारत और रामायण का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “ज्यादतर किताबें पश्चिमी लेखकों द्वारा लिखी गई हैं। मैं बार-बार यह पढ़कर थक गया था कि हम बहुत रणनीतिक हैं, जबकि भारत में रणनीति और शासन कला की कोई परंपरा नहीं है। हम अपनी मान्यताओं और संस्कृति के साथ पले-बढ़े हैं। हम अपने शब्दों का प्रयोग नहीं करते और दुनिया भी हमारे शब्दों को नहीं जानती। यही भावना मेरे भीतर पनप रही थी। मैं दुनिया को वह समझाना चाहता हूं जो मैं लंबे समय से महसूस कर रहा हूं।”
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जयशंकर ने कहा, “हम सोचते हैं कि महाभारत शक्ति, संघर्ष और परिवार के बारे में है। हम रामायण की जटिलताओं, युक्तियों, रणनीतियों और रणनीति के बारे में स्वाभाविक रूप से नहीं सोचते। इसलिए, जब किसी ने मुझसे पूछा, ‘आपकी राय में सबसे महान कूटनीतिज्ञ कौन हैं?’ तो उस समय मैंने कहा, भगवान कृष्ण और हनुमान। क्योंकि एक महाभारत के महान कूटनीतिज्ञ हैं, तो दूसरे रामायण के महान कूटनीतिज्ञ हैं।”
हनुमान के कामों पर विचार कीजिए- विदेश मंत्री
जयशंकर ने बताया कि दरअसल भगवान हनुमान को श्रीलंका सूचना हासिल करने के लिए भेजा गया था। विदेश मंत्री ने कहा, “हनुमान के कामों पर विचार कीजिए। हनुमान को सूचना जुटाने के लिए श्रीलंका भेजा गया था। वे सूचना जुटाने में सफल रहे। वे माता सीता से मिलने तक गए। उन्होंने सीता का मनोबल बढ़ाया। वे दरबार में गए, रावण की पूरी योजना का जायजा लिया, विभीषण का कुशल मार्गदर्शन किया और फिर एक तरह से उन्होंने रावण को मनोवैज्ञानिक रूप से पराजित कर दिया। इससे बड़ा कूटनीतिज्ञ और कौन हो सकता है? उन्हें एक काम सौंपा गया था और उन्होंने उसे दस गुना बेहतर तरीके से पूरा किया, वो भी उम्मीदों से कहीं बढ़कर। अब, अगर आप जैसे व्यक्ति दुनिया के सामने न आएं, तो मुझे लगता है कि हम अपनी संस्कृति के साथ घोर अन्याय करेंगे।”
आज की दुनिया गठबंधन की राजनीति का युग- एस जयशंकर
जयशंकर ने यह भी कहा कि आज की दुनिया गठबंधन की राजनीति का युग है। उन्होंने कहा, “किसी के पास बहुमत नहीं है। किसी गठबंधन के पास बहुमत नहीं है। इसलिए होता यह है कि लगातार गठबंधन बनते रहते हैं, समझौते होते रहते हैं, कोई सत्ता में आता है, कोई सत्ता से बाहर हो जाता है, कोई न कोई मुद्दा सामने आ जाता है। बहुध्रुवीय दुनिया कई दलों की तरह है। कभी आप एक दल के साथ होते हैं, तो किसी दूसरे मुद्दे पर दूसरे दल के साथ। लेकिन इन सबके बीच मेरा एक ही सिद्धांत है, अपने देश की मदद करना। इसलिए जो भी मेरे देश की मदद करे, वही मेरी पसंद है।
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