IIM Rohtak: आईआईएम रोहतक को लेकर कैग की रिपोर्ट में करोड़ों की कथित वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। बता दें कि साल 2019-21 के लिए निदेशक आईआईएम रोहतक के अकाउंट पर कैग की ‘ऑडिट एंड इंस्पेक्शन रिपोर्ट’ सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि संस्थान को 48.90 करोड़ रुपये की कर छूट मिली, जिसके लिए वह योग्य नहीं था।

इस संबंध में आईआईएम ने दि प्रिंट को विस्तृत जवाब भेजा है। जिसमें प्रबंधन कॉलेज में वित्तीय अनियमितता को सही ठहराया है। दरअसल आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (23C) (iiiab) के अनुसार, किसी भी विश्वविद्यालय या किसी शैक्षणिक संस्थान की तरफ से किसी व्यक्ति को मिलने वाली कोई भी आय केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोग होगी न कि किसी अन्य लाभ के उद्देश्य से होगी। यह राशि सरकार द्वारा पूर्ण या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित है, वह छूट का हकदार है।

इसके अलावा, नियमों के अनुसार, यदि संस्थान को सरकार से कम से कम 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है, तो वह कर छूट के लिए योग्य होगा। ऐसे में इन परिस्थितियों में से आईआईएम रोहतक नहीं है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2018-19 शैक्षणिक सत्र तक आईआईएम रोहतक को सरकार से मिला अनुदान हर साल 50 प्रतिशत की सीमा से नीचे रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थान को मिलने वाला अधिकतम अनुदान वर्ष 2017-18 में मिले कुल अनुदान का 31.20 प्रतिशत था। रिपोर्ट में लिखा गया कि इसलिए, संस्थान को सरकार द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे 50 प्रतिशत सीमा से कम अनुदान प्राप्त होता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संस्थान ने छात्रों से अत्यधिक शुल्क वसूला, जिसे बचाया जा सकता था।

वहीं इस रिपोर्ट को लेकर आईआईएम रोहतक सफाई दी है कि सालाना फीस कई कारकों पर निर्भर है, जिसमें संस्थान का सालाना खर्च, संस्थान के लिए भविष्य की विस्तार योजना, सहकर्मी संस्थानों का शुल्क आदि शामिल हैं। संस्थान का कहना है कि पिछले पांच साल से संस्थान हर साल महज़ महंगाई के आधार पर ही फीस बढ़ा रहा है और संस्थान ने 2021 में कोविड की स्थिति के चलते फीस नहीं बढ़ाई।

वहीं संस्थान का दावा है कि आईआईएम रोहतक द्वारा लिया जाने वाला कुल शुल्क आज मौजूद 20 आईआईएम में सबसे कम शुल्क है। कैग की रिपोर्ट पर संस्थान का कहना है कि सीएजी रिपोर्ट एक मसौदा रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट विचाराधीन हैं।