पोलियो की वजह से निर्मला चल-फिर भी नहीं पातीं। लेकिन उनके बुलंद हौसलों ने उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने की हिम्मत दी। निर्मला अब अपना होस्टल चला रही हैं। ऐसे ही एसिड अटैक पीड़िता कविता ने भी जिदंगी की जंग में जीत हासिल कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। कविता अब उत्तराखंड महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एंबेसडर हैं। इंटरनेशनल वुमेन-डे पर हम आपको बताने जा रहे बुलंद हौसलों वाली ऐसी ही कुछ अन्य महिलाओं की कहानी…

एक महीने पहले रेप, अब दे रही हैं एग्जाम
बिहार पुलिस चाहे नाबालिग से रेप के आरोपी आरजेडी विधायक राज बल्लभ यादव को पकड़ने में असफल रही हो, लेकिन पीड़िता ने अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया है। पीड़िता इस सप्ताह से शुरू होने वाले मैट्रिक एग्जाम की तैयारी में लगी हुई है। पीड़िता 10 मार्च से शुरू होने वाले मैट्रिक के एग्जाम में शामिल होंगी। अभी तक सदमे से नहीं उबर उभर पाई पीड़िता ने जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए एग्जाम देने का फैसला किया है।

पहले पीड़िता का एग्जाम सेंटर उसके गांव से 15 किलोमीटर दूर था, लेकिन पिता ने जब इस पर चिंता जाहिर की और कहा कि उसकी बेटी हर रोज पुलिस सुरक्षा में इतनी दूर एग्जाम देने नहीं जा सकती। जिसके बाद जिला प्रशासन ने एक अज्ञात जगह पर पीड़िता का एग्जाम सेंटर बनाया है। 6 फरवरी को एक महिला पीड़िता के परिवार को विधायक के घर एक बर्थडे पार्टी का नाम लेकर ले गई थी, जहां पीड़िता के साथ रेप हुआ। जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा मुहैया कराए जाने के बाद भी पीड़ित परिवार डरा हुआ है। फरार आरोपी विधायक यादव ने पटना हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है, जिस पर जल्द ही सुनवाई हो सकती है।

कैब ड्राइवर बन परिवार की जिम्मेदारी उठा रहीं पिंकी

दो साल पहले पति की मौत के बाद 42 साल की पिंकी रानी शर्मा ओला कैब चलाकर अपने दम पर अपने तीन बच्चों बच्चों की परवरिश कर रही हैं। पति के रहते पिंकी ने कभी कमाई के लिए घर की दहलीज तक नहीं लांघी थी, लेकिन पति की मौत के बाद उन्हें जो रास्ता दिखा वह था कैब ड्राइविंग का। पिंकी कहती हैं, ‘मेरे पास अपनी गाड़ी थी, ड्राइविंग लाइसेंस था, गाड़ी चलाने का शौक था, मैंने पिक एंड ड्रॉप का काम शुरू कर दिया, लेकिन कमर्शियल लाइसेंस नहीं था। कई जगह अपना बायोडाटा लेकर गई, लेकिन हर जगह कमर्शियल लाइसेंस मांगते थे।’

चल भी नहीं पातीं निर्मला, लेकिन चला रही हैं होस्टल
निर्मला मेहता मात्र दो साल की थीं, जब उन्हें पोलियो का अटैक पड़ा था। गरीब परिवार में पैदा हुई मेहता का ईलाज भी नहीं हो सका और वह चल-फिर नहीं पातीं। लेकिन उनके मजबूत हौसलों ने उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने से नहीं रुकने दिया। मेहता ने उत्तराखंड के हल्दवानी में साल 2014 में छात्रों के लिए होस्टल शुरू किया। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री हासिल मेहता ने बीएड भी की है। पढ़ाई पूरी होने के बाद मेहता ने एक स्कूल में बतौर टीचर पढ़ाना शुरू किया था। 30 साल की मेहता अब अपना होस्टल चलाने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी कर रही हैं। मेहता को पिता और भाई स्कूल में एग्जाम दिलाने ले जाते थे। मेहता ने अपने सेविंग और दोस्तों से उधार लेकर होस्टल की शुरुआत की है।

मेहता की बिजनेस पार्टनर कविता भी उन्हीं की तरह बुलंद हौसलों वाली हैं। एसिड अटैक पीड़िता 25 साल की कविता हल्दवानी की ही रहने वाली हैं और उत्तराखंड महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एंबेसडर हैं। कविता दो महीने पहले ही मेहता की पार्टनर बनी हैं। कविता पर 2008 में दो बाइक सवारों ने एसिड फेंक दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपने आपको उस सदमे से बाहर निकाला और जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। कविता जल्द ही एसिड अटैक पीड़िताओं पर बनने वाली बॉलीवुड मूवी में नजर आने वाली हैं।

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मॉडल बनीं एसिड अटैक पीड़िताएं
भोपाल में रविवार को रैम्प पर एसिड अटैक पीड़िताएं डॉली, रूपा, नीतू, गीता और रानी दिखीं। पांचों ही नई दिल्ली के एनजीओ छांव और स्टॉप एसिड अटैक कैम्पेन से जुड़ी हुई हैं। यह एनजीओ कई शहरों में फैशन शो करवाता है। शो के लिए ड्रेस भी एसिड अटैक पीड़िता रूपा द्वारा डिजाइन की जाती हैं। रूपा की इच्छा एक फैशन डिजाइनर बनने की थी। जिसे वे एसिड अटैक के बाद भी पूरा करना चाहती हैं। रूपा का कहना है कि एसिड अटैक के बाद वे भीड़ में जाने से डरती थी। लेकिन बाद में मुझे कुछ लोग मिले, जिन्होंने मुझसे आत्मविश्वास जगाया और मेरे अंदर हिम्मत पैदा की। अब मैं मेरा फैशन डिजाइनर बनने का सपना पूरा करने में लगी हुई हूं।

छांव एनजीओ से ही जुड़ी हुई एसिड अटैक पीड़िताओं ने इंटरनेशल वुमैन-डे पर लखनऊ में अपने शीरोज की दूसरी ब्रांच खोली है। कैफे को पांच एसिड अटैक पीड़िताएं चलाएंगी। कैफे के साथ ही यहां एसिड अटैक पीड़िताओं को लीगल, मेडिकल और नौकरी में मदद की जाएगी। गौरतलब है कि कैफे की पहली ब्रांच आगरा में साल 2014 में खोली गई थी। यह एनजीओ भारत में एसिड अटैक रोकने के लिए काम करती है और साथ ही पीड़िताओं को हर संभव मदद करता है। इस फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में एसिड अटैक पीड़िताएं ही शामिल हैं।

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