अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव को कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा एडिशनल डायरेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया है। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव सामने आने के बाद 24 अक्टूबर को राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। राव के नाम पर नवंबर 2016 में अतिरिक्त निदेशक के लिए विचार नहीं किया गया और अप्रैल 2018 में इस बैच की समीक्षा के दौरान भी उनके नाम पर विचार नहीं हुआ। उन्होंने 2016 में संयुक्त निदेशक के रूप में सीबीआई में कामकाज शुरू किया था। सुप्रीम कोर्ट ने राव से तब तक कोई नीतिगत फैसला नहीं लेने को कहा, जब तक वह वर्मा और अस्थाना के बीच झगड़े से संबंधित याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेता है। एम नागेश्वर राव ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच जारी टकराव के सतह पर आने के बाद यह मामला न्यायालय में पहुंचा गया। इस बीच, केंद्र सरकार ने सीबीआई के दोनों वरिष्ठतम अधिकारियों से उनकी सभी शक्तियां छीन लीं और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया। साथ ही नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का अंतरिम प्रमुख भी बना दिया गया। राव की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठने लगे थे। कोर्ट ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के मामले में सुनवाई पूरी होने तक राव को किसी भी तरह के नीतिगत फैसले पर रोक लगा दी थी।
तेलंगाना के रहने वाले हैं नागेश्वर राव: नागेश्वर राव तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है। उनकी पहचान एक तेज-तर्रार पुलिस अफसर के तौर पर है। ओडिशा कैडर मिलने के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग भी इसी राज्य में मिली थी। उन्होंने तलचर क्षेत्र में अवैध खनन पर लगाम लगाकर खुद की अलग पहचान बनाई थी। उनकी तैनाती उग्रवाद प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भी की गई थी। उन्होंने यहां भी खुद को साबित किया था। उन्होंने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चिटफंड घोटाले की भी जांच की थी। बता दें कि इन घोटालों में कई राजनेताओं के भी संलिप्त होने की आशंका है।
