महंगाई बीते नौ महीने से बढ़ रही है। अप्रैल और मई में पूर्णबंदी की वजह से आंकड़े नहीं आए थे। जून से बाजारों से आंकड़े मिल रहे हैं। तब से लगातार महंगाई बढ़ रही है। इसका कारण खाद्य महंगाई दर का बढ़ना है। देशभर में सब्जियों के साथ-साथ अंडे, मछली और अन्य प्रोटीन खाद्य पदार्थों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। सिर्फ अक्तूबर की ही बात करें तो अंडे 21 फीसद और मांस-मछली 18 फीसद की दर से महंगे हुए हैं।

केंद्र सरकार ने अक्तूबर के महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक महंगाई दर 7.61 फीसद रही। यह पिछले छह साल में अब तक सबसे ज्यादा है। इससे पहले मई 2014 में महंगाई दर 8.33 फीसद थी, जो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के सत्ता से बाहर होने की एक बड़ी वजह भी बनी थी।
खुदरा महंगाई दर को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स, सीपीआइ) के आधार पर निकाला जाता है।

अक्तूबर के सूचकांक के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.16 फीसद की रफ्तार से बढ़ी। महंगाई दर में खाद्य वस्तुओं की कीमतों का हिस्सा 45.8 फीसद है। अक्तूबर में कई शहरों में प्याज-आलू की कीमतें आसमान छू रही थीं। प्याज 100 रुपए प्रति किलो की दर पर पहुंच गया था। दूसरी ओर, अक्तूबर-2019 के मुकाबले सब्जियां पिछले महीने 22 फीसद महंगी रही। इससे खाद्य महंगाई दर और

खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई। दुनियाभर में इसके विपरीत स्थिति है। चीन में अक्तूबर में महंगाई दर 11 साल में सबसे कम- 0.5 फीसद रही। इसकी वजह है अफ्रीकन स्वाइन फीवर जिसकी वजह से लोगों ने सुअर खाना बंद कर दिया और उसकी आबादी बढ़ने से कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है। वहां नवंबर में भी महंगाई दर नीचे रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।

अमेरिका में अक्तूबर में महंगाई दर 1.3 फीसद रही। ब्रिटेन और जापान में भी महंगाई दर 0.5 फीसद के आसपास ही रही। दरअसल, इन देशों में मंदी और डिफ्लेशन का खतरा मंडरा रहा है। जिस तरह बहुत ज्यादा महंगाई यानी इन्फ्लेशन अच्छा नहीं होता, वैसे ही डिफ्लेशन भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इससे विकास दर गिरने का डर रहता है।

रिजर्व बैंक को दो फीसद की घट-बढ़ के साथ चार फीसद पर महंगाई दर थामे रखने की जिम्मेदारी है। अक्तूबर लगातार सातवां महीना रहा, जब महंगाई दर छह फीसद से ऊपर बनी हुई है। रिजर्व बैंक ने पिछली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें नहीं घटाई थीं। यदि महंगाई दर इसी तरह बढ़ती रही तो लगता नहीं कि ब्याज दरों में कोई गिरावट होगी।
यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक राजकिरण राय के मुताबिक, जब तक महंगाई दर कम नहीं होगी, तब तक ब्याज दरों में गिरावट की संभावना नहीं है। दिसंबर में थोड़ी राहत मिलेगी और अच्छी फसल के बाद फरवरी में महंगाई दर के कम होने की संभावना दिख रही है।

हाल में रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्याज पर भंडारण सीमा निर्धारित करने, आलू-प्याज का आयात बढ़ाने, अनाज पर आयात शुल्क घटाने से भी खाद्य वस्तुओं की कीमतें कम नहीं हुई हैं। दूसरी ओर, आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतें अस्थाई हैं।

यह ज्यादा दिन तक नहीं टिकने वाला। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सामान्य होने पर कीमतें कम होने लगेंगी। लगातार 7वें महीने खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर रही है। सब्जियां सबसे ज्यादा 22.51 फीसद महंगी हुई हैं।