भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने आत्मविश्वास और भाषणों के अंदाज लिए जाने जाते हैं लेकिन उनके ये तेवर पुराने प्रतीत होते हैं। आपको यकीन न हो तो आप नरेंद्र मोदी की एनडीटीवी की पत्रकार बरखा दत्त को 1996 में दिया एक इंटरव्यू देख सकते हैं। 1996 में हुए लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात की कुल 26 लोक सभा सीटों में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। नतीजों की घोषणा से पहले ही मतगणना के दौरान पत्रकार बरखा दत्त गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन पर मोदी की राय पूछ रही थीं। मोदी उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव थे। इस इंटरव्यू की एक खास बात ये भी है कि मोदी बीच-बीच में एकाध लाइन अंग्रेजी बोलते भी नजर आ रहे हैं।

बरखा ने जब गुजरात में कम मतदान की वजह पूछी तो मोदी ने कहा, ” …चुनाव के मैदान में कांग्रेस में कोई दम ही नहीं था। और जब प्रतिस्पर्धी में कोई ताकत नहीं होती है तो लड़ाई का मजा नहीं आता है, मजा नहीं आता है तो लोगों में उत्तेजना नहीं आती, उत्तेजना नहीं आती तो वोटिंग टर्नआउट में भी कठिनाई आती है।” 1996 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को कुल 161 सीटों पर और कांग्रेस को 140 सीटों पर जीत मिली थीं। वहीं लेफ्ट फ्रंट को उस साल के लोक सभा चुनाव में 52 सीटें मिली थीं।

1995 के गुजरात विधान सभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की 182 सीटों में से 121 सीटों पर जीत मिली थी। माना जाता है कि ज्यादातर पार्टी विधायक शंकर सिंह वाघेला को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में थे लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केशुभाई पटेल को सीएम बनाने का फैसला लिया। पटेल के सीएम बनने के पीछे नरेंद्र मोदी के समर्थन की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई थी। पटेल को सीएम बनाए जाने से नाराज वाघेला ने सितंबर 1995 में पार्टी के 47 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी जिसके बाद समझौते के तहत बीजेपी ने पटेल की जगह वाघेला के करीबी माने जाने वाले सुरेश मेहता को राज्य का सीएम बना दिया था।

राज्य में 1996 के लोक सभा चुनाव पर गुजरात बीजेपी के अंदरूनी कलह की छाया साफ थी। बीजेपी समर्थक केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला के बीच बंटे नजर आ रहे थे। जब बरखा ने गुजरात बीजेपी के अंदरूनी टकराव का हवाला देते हुए मोदी से पूछा कि गुजरात में शंकर सिंह वघेला की रैली पर कुछ लोगों ने पथराव किया था और वीएचपी-आरएसएस के साधुओं ने वघेला विरोधी रैली निकाली है तो नरेंद्र मोदी ने उनकी बात को गलत ठहराते हुए कहा, “आपकी जानकारी सही नहीं है, मैं गुजरात से ही आ रहा हूं…किसी रैली पर कहीं पथराव नहीं हुआ है…आरएसएस या वीएचपी के कोई साधू होते ही नहीं हैं…लेकिन संत नाराज थे क्योंकि वघेला समर्थक कुछ बंधुओं ने ऐसे कुछ बयान दे दिया था जिससे उन्हें बहुत चोट पहुंची थी….जिससे नाराज होकर उन्होंने कुछ एजीटेसन कर दिया था लेकिन आरएसएस-वीएचपी के लोगों ने उन्हें समझा कर एजीटेसन वापस करवा लिया था।” शायद अंदरूनी कलह की वजह से ही गोधरा से लोक सभा चुनाव लड़ने वाले वाघेला चुनाव हार गए। चुनाव हारने के कुछ समय बाद ही उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी।

देखें नरेंद्र मोदी से बरखा दत्त का 20 साल पुराना इंटरव्यू-