जयंतीलाल भंडारी

इस समय भारत में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निर्धारित तरीके से हट कर सोचने और आगे की योजना बनाने की आवश्यकता है। नागरिक सुविधाओं, अच्छी डिजिटल संपर्क, अच्छे होटल और अस्पतालों, साफ-सफाई और उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के साथ भारत का पर्यटन क्षेत्र कई गुना बढ़ सकता है। ताजा बजट के अनुसार पचास ऐसे पर्यटन स्थलों को विकसित करना होगा, जहां दुनिया का हर पर्यटक आने को आकर्षित हो।

भारत का पर्यटन उद्योग कोविड के निराशाजनक दौर से निकल कर लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन ‘भारत पर्यटन सांख्यिकी रपट 2022’ सहित विभिन्न रपटों में बार-बार कहा जा रहा है कि अब भी भारत का पर्यटन उद्योग दुनिया के छोटे-छोटे देशों से बहुत पीछे है। वैश्विक पर्यटन सूचकांक में भारत का स्थान चौवनवां है। दुनिया भर के कुल पर्यटकों में से करीब 1.64 फीसद विदेशी पर्यटक ही भारत आते हैं।

सवाल है कि जिस भारत को दुनिया का प्रमुखतम पर्यटन देश होना चाहिए था, वह इस डगर पर पीछे क्यों है? इसके कई कारण दिखाई देते हैं। भारत की आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद देश के कई हिस्सों के साथ संपर्क और आवश्यक पर्यटन सुविधाओं की कमी के कारण भारत घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संतोषप्रद संख्या से बहुत दूर है। खासकर बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कई बार पर्यटकों को वांछित पर्यटन स्थानों पर पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। देश में ऐसे कई अच्छे पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो सर्वेक्षणों, अवसंरचना और संपर्क की कमी के कारण अब भी लोगों की पर्यटन जानकारी से दूर हैं।

चूंकि पर्यटन उद्योग की ऊंचाई नए पर्यटन पाठ्यक्रमों से सुसज्जित युवाओं के कौशल पर निर्भर है और इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन अब तक देश के कोने-कोने में प्रशिक्षित पर्यटक मार्गदर्शकों की उपलब्धता की कमी है। पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों की कम संख्या भारत के पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है।

ऐसे में देशभर में स्थित पर्यटन सूचना केंद्रों को सही ढंग से प्रबंधित न किए जाने के कारण घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करना काफी मुश्किल हो जाता है। देश में ई-वीजा सुविधा जरूर शुरू की गई है, पर इसके बावजूद अब भी भारत में आने वाले अधिकांश पर्यटक और आगंतुक वीजा के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को काफी जटिल मानते हैं।

भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों को भी जिस तरह कई बार लूट और चोरी आदि का सामना करना पड़ता है और उसका प्रचार-प्रसार दुनिया भर में हो जाता है, जिसके कारण पर्यटकों के मन में देश की कानून-व्यवस्था को लेकर एक नकारात्मक छवि उत्पन्न होती है। गौरतलब है कि विश्व आर्थिक मंच सूचकांक में सुरक्षा के मामले में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया है।

भारतीय पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती यह भी है कि पर्यटन क्षेत्र में बहु-व्यंजन रेस्तरां, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं, सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता संबंधी कई कमियां भी हैं। हालांकि बीते कुछ वर्षों में भारत ने अपने पर्यटन क्षेत्र के प्रचार में काफी वृद्धि की है, पर अब भी दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत के पर्यटन स्थलों को लेकर प्रचार और जागरूकता की कमी स्पष्ट दिखाई दे रही है।

पर्यटन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2023-24 के केंद्रीय बजट में 1742 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है। हमारे गांव पर्यटन के केंद्र बन रहे हैं और बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण सुदूर के गांव अब पर्यटन मानचित्र पर आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने सीमा के पास स्थित गांवों के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’ शुरू की है और गांवों के अनुकूल छोटे होटल और रेस्तरां जैसे व्यवसायों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

दरअसल, पर्यटन संबंधी सुविधाओं में बढ़ोतरी होने से इस क्षेत्र में आकर्षण बढ़ा है। देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने से राजस्व तथा रोजगार बढ़ा है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से पहले यहां एक साल में लगभग अस्सी लाख लोग आते थे, लेकिन इसके नवीनीकरण के बाद पिछले साल पर्यटकों की संख्या सात करोड़ से अधिक दर्ज हुई। केदारघाटी में पुनर्निर्माण से पहले यहां आने वाले 4-5 लाख तीर्थयात्रियों की तुलना में पिछले साल 15 लाख श्रद्धालु आए। ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ का निर्माण पूरा होने के एक साल के भीतर 27 लाख पर्यटकों ने यहां की यात्रा की।

जैसे-जैसे भारत के पर्यटन स्थलों का विकास हो रहा और इसकी जानकारी दुनिया को हो रही है, वैसे-वैसे भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले साल जनवरी में आए दो लाख पर्यटकों की तुलना में इस साल जनवरी में आठ लाख विदेशी पर्यटक भारत आए। भारत आने वाले विदेशी पर्यटक औसतन सत्रह सौ डालर खर्च करते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय यात्री अमेरिका में औसतन ढाई हजार डालर और आस्ट्रेलिया में लगभग पांच हजार डालर खर्च करते हैं। भारत के पास अधिक खर्च करने वाले पर्यटकों को देने के लिए बहुत कुछ है। ऐसे में प्रत्येक राज्य को इस विचार के अनुरूप अपनी पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के कई ऐसे चमकीले बिंदु हैं, जो देश में पर्यटन के विभिन्न आयामों को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। विविधताओं से भरे भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां की संस्कृति, संगीत, हस्तकला, खानपान से लेकर नैसर्गिक सुंदरता हमेशा से देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती रही हैं। देश में विभिन्न पर्यटन तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इनमें समुद्र तट पर्यटन, हिमालय पर्यटन, साहसिक पर्यटन, वन्यजीव पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन, विरासत पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन, विवाह स्थल पर्यटन, खेल पर्यटन, रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, गांधी सर्किट पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत पर्यटन, जिओ-हेरिटेज पर्यटन, योग, आयुर्वेद और चिकित्सा पर्यटन आदि प्रमुख हैं।

निस्संदेह इस समय भारत में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निर्धारित तरीके से हट कर सोचने और आगे की योजना बनाने की आवश्यकता है। नागरिक सुविधाओं, अच्छी डिजिटल संपर्क, अच्छे होटल और अस्पतालों, साफ-सफाई और उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के साथ भारत का पर्यटन क्षेत्र कई गुना बढ़ सकता है। ताजा बजट के अनुसार पचास ऐसे पर्यटन स्थलों को विकसित करना होगा, जहां दुनिया का हर पर्यटक भारत आने को आकर्षित हो।

संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में भारतीय पर्यटन स्थलों के लिए ऐप भी विकसित करना होगा। सचमुच ऐसी रणनीतियों से पर्यटन क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनाया जा सकेगा। इस समय जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और जनवरी 2023 से जी-20 देशों के प्रतिनिधियों के साथ दुनिया के विभिन्न देशों के अतिथि भी भारत में जी-20 की कार्य समूह की बैठकों में सहभागिता के साथ जिस तरह विभिन्न प्रदेशों के पर्यटन स्थलों में रुचि दिखा रहे हैं, उससे दुनिया में भारत के पर्यटन स्थलों का व्यापक प्रचार-प्रसार होगा।

हम उम्मीद कर सकते हैं कि देश में पर्यटन संबंधी प्रमुख समस्याओं के निराकरण से भारत का पर्यटन क्षेत्र वर्ष 2030 तक ढाई सौ अरब डालर तक की आमदनी प्राप्त करता दिखाई देगा। साथ ही दुनिया के अधिक देशों से अधिक विदेशी पर्यटकों को भारत में पर्यटन के लिए आकर्षित किया जा सकेगा। उम्मीद है कि भारत सरकार ने समावेशी विकास के माध्यम से 2030 तक पर्यटन उद्योग के जरिए 56 अरब डालर विदेशी मुद्रा अर्जित करने और लगभग 14 करोड़ नौकरियां सृजित करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, वह साकार होता दिखाई देगा। पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियों के कारगर समाधान से भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन सकेगा। सरकार ने स्वतंत्रता के सौवें साल तक भारत को एक लाख करोड़ डालर की पर्यटन अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने का जो लक्ष्य रखा है, वह मुट्ठियों में आता दिखाई देगा।