भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अधिक ईंधन एवं कई सुरक्षित उपायों से लैस चंद्रयान-3 का शुक्रवार को प्रक्षेपण करने के साथ चंद्रमा पर उतरने का एक और प्रयास करने के लिए तैयार है। इसके लिए चांद पर एक बड़ा ‘लैंडिंग स्थल’ निर्दिष्ट किया गया है। चंद्रयान-3 शुक्रवार को अपराह्न 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरने को तैयार है। यह सितंबर 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है जो एक साफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण चंद्र सतह पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहा था।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहने का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि जब इसने चंद्रमा की सतह पर 500मीटर गुणा 500 मीटर के निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू किया तो इसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से अधिक बल विकसित हो गया।

उन्होंने यहां एसआइए इंडिया द्वारा आयोजित भारतीय अंतरिक्ष कांग्रेस से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘प्राथमिक मुद्दे थे, पहला-हमारे पास पांच इंजन थे जिनका उपयोग वेग को कम करने के लिए किया गया। इन इंजनों में अपेक्षा से अधिक बल विकसित हो गया।’ सोमनाथ ने कहा कि अधिक बल उत्पन्न होने से कुछ ही अवधि में त्रुटियां पैदा हो गई।

इसरो प्रमुख ने कहा, सभी त्रुटियां एक साथ हो गई जो हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक थीं। यान को बहुत तेजी से मुड़ना पड़ा। जब यह बहुत तेजी से मुड़ने लगा, तो इसके मुड़ने की क्षमता साफ्टवेयर द्वारा सीमित हो गई। हमने कभी ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं की थी। यह दूसरा मुद्दा था। उन्होंने कहा कि विफलता का तीसरा कारण अंतरिक्ष यान को उतारने के लिए निर्दिष्ट किया गया 500 मीटर गुणआ 500 मीटर का छोटा स्थल था।

सोमनाथ ने कहा, यान अपना वेग बढ़ाकर वहां पहुंचने की कोशिश कर रहा था। यह सतह के लगभग करीब था और लगातार वेग बढ़ा रहा था। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाय, अंतरिक्ष एजंसी ने चंद्रयान-3 में विफलता-आधारित डिजाइन को चुना है। इसरो अध्यक्ष ने कहा, हमने लैंडिंग के क्षेत्र को 500 मीटर गुणआ 500 मीटर से बढ़ाकर 4 किलोमीटर गुणा 2.5 किलोमीटर कर दिया है।

यह कहीं भी उतर सकता है, इसलिए यह आपको एक विशिष्ट बिंदु को लक्षित करने तक सीमित नहीं करता है। यह केवल नाममात्र स्थितियों में एक विशिष्ट बिंदु को लक्षित करेगा। इसलिए, यदि प्रदर्शन ख़राब हुआ, तो यह उस क्षेत्र में कहीं भी उतर सकता है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 में ईंधन भी अधिक है जिससे इसमें यात्रा करने या पथ-विचलन को संभालने या वैकल्पिक लैंडिंग स्थल पर जाने की अधिक क्षमता है।

सोमनाथ ने कहा, हमने बहुत सी विफलताओं को देखा- सेंसर की विफलता, इंजन की विफलता, एल्गोरिदम की विफलता, गणना की विफलता। इसलिए, जो भी विफलता हो, हम चाहते हैं कि यह आवश्यक वेग और निर्दिष्ट मान पर उतरे। इसलिए, अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया है। इसरो प्रमुख ने कहा कि विक्रम लैंडर में अब अन्य सतहों पर अतिरिक्त सौर पैनल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह बिजली उत्पन्न करता रहे, चाहे यह चंद्र सतह पर कैसे भी उतरे।