केन्द्र की एनडीए सरकार अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में शेयर मार्केट में खूब तेजी देखी गई थी। डेक्कन हेराल्ड ने शेयर मार्केट के पिछले 20 सालों का विश्लेषण कर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार, केन्द्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में शेयर मार्केट का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरुप नहीं रहा है। रिपोर्ट में इसका कारण ग्लोबल फैक्टर्स और केन्द्र सरकार की गलत नीतियों को बताया गया है। खबर के अनुसार, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयर संसेक्स 47.4% की दर से बढ़ा है। वहीं मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में यह वृद्धि 54.4% रही थी।

यूपीए-1 के दौरान तो शेयर बाजार की तेजी 70.2% रही थी। बीएसई डाटा का विश्लेषण करने के बाद यह जानकारी मिली है। यूपीए से पहले की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में साल 1999 से 2004 के बीच शेयर बाजार 16.7% की दर से बढ़ा था। वहीं 50 शेयर एनएसई निफ्टी में भी ऐसा ही रुझान देखने को मिला है। एनएसई निफ्टी मोदी सरकार के दौरान 47.5% की तेजी से बढ़ा, जबकि यूपीए-1 में यह 69.5% और यूपीए- 2 में 49.6% की दर से वृद्धि दर्ज की गई थी। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में एनएसई निफ्टी 24.6% की तेजी से बढ़ा था।

विशेषज्ञों के अनुसार, मोदी सरकार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में तेजी दर्ज की गई है। हालांकि यह तेजी नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से प्रभावित हुई। विदेशी निवेश में भी मोदी सरकार के समय में थोड़ी गिरावट देखने को मिली है। मोदी सरकार में देश में 3.67 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा आयी, जो कि यूपीए-2 के कार्यकाल में आयी 6.03 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा के मुकाबले 40% कम है। कॉरपोरेट कमाई की बात करें तो मोदी सरकार में वित्तीय वर्ष 2017 में इंडिया इंक में 17.5 प्रतिशत की तेजी आयी थी। वहीं वित्तीय वर्ष 2015 में 0.2% की गिरावट आयी। साथ ही वित्तीय वर्ष 2016 में 12.3% की और वित्तीय वर्ष 2018 में 25.3% की गिरावट आयी है।