रिसर्च के लिए मशहूर मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी (एमआईटी) में एक भारतीय वैज्ञानिक ने अनूठा सेंसर ईजाद किया है। स्टिकर जैसा यह सेंसर पहना जा सकेगा जो यौन शोषण का रियल टाइम में पता लगाकर पीड़‍िता के दोस्‍तों और परिवार को मदद के लिए सिग्‍नल भेजेगा। इस सेंसर को किसी भी कपड़े के साथ स्टिकर की तरह लगाया जा सकेगा। इसे यह समझाया जा सकेगा कि कब कोई व्‍यक्ति अपने कपड़े उतार रहा है और कब किसी से जबरदस्‍ती की जा रही है। एमआईटी में रिसर्च असिस्‍टेंट मनीषा मोहन ने यह सेंसर बनाया है। यह सेंसर तब भी काम करेगा जब पीड़‍िता बेहोश होगी या हमलावर से लड़ने की स्थिति में नहीं (नाबालिगों, अपंगों और नशा कराए गए) होगी।

इस सेंसर में एक इंटीग्रेटेड ब्‍लूटूथ होगा जो एक स्‍मार्टफोन एप से जुड़ा होगा। किसी अप्रिय स्थिति में यह फोन के जरिए शोर मचाकर नजदीकी लोगों को एलर्ट कर देगा और पहले से तय परिवार के सदस्‍यों या इमरजेंसी सेवाओं को सिग्‍नल भेजेगा। यह सेंसर दो मोड में काम करता है। पैसिव मोड में पीड़‍िता को बेहोश माना जाता है और किसी के एक बटन को छूने पर तेज अलार्म या सिग्‍नल भेज सकेगा। एक्टिव मोड में, सेंसर बाहरी वातावरण के जरिए सिग्‍नल पहचानने की कोशिश करेगा।

उदाहरण के लिए, अगर कोई पीड़‍िता के कपड़े निकालने की कोशिश करता है तो स्‍मार्टफोन को एक मेसेज जाता है कि ऐसा सहमति से हुआ था या नहीं। अगर पीड़‍िता 30 सेकेंड के भीतर जवाब नहीं देती तो फोन तेज आवाज कर यूजर और आसपास के लोगों को एलर्ट करता है। अगर अगले 20 सेकेंड में पीड़‍िता पहले से तय पासवर्ड के जरिए अलार्म बंद नहीं करती तो स्‍मार्टफोन एप लोकेशन के साथ परिवार या दोस्‍तों को संदेश भेज देती है।

मोहन ने चेन्‍नई में बतौर इंजीनियरिंग छात्रा जिस तरह की परिस्थितियों का सामना किया, उसने उन्‍हें यह डिवाइस बनाने की प्रेरणा दी। उन्‍होंने पीटीआई से कहा, ”कैंपस में छात्राओं को निश्चित समय के बाद काम करने की इजाजत नहीं थी। आपको अपने हॉस्‍टल में साढ़े 6 बजे तक होना होता था। चारदीवारी में रहने की बजाया मुझे लगता है कि हमें उन्‍हें (छात्राओं) को और सुरक्षा प्रदान करानी चाहिए।”