सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.42 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.17 पर खुला और फिर यह 77.42 पर पहुंच गया। रुपये के कमजोर होने को लेकर अब विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने एक ट्वीट के जरिए पीएम मोदी पर तंज कसा है।

उन्होंने लिखा, “डॉलर निकला मोदी जी की उम्र से 6 वर्ष आगे, रुपया हुआ 2014 के मुकाबले करीब 20 रुपये कमजोर। 2014 में मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल के आखिरी दिन 1 डॉलर की कीमत 58.57 रुपये थी।”

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र पर गौर करें तो 71 वर्ष है। ऐसे में कांग्रेस नेता ने भारतीय रुपये के गिरने पर तंज कसते हुए लिखा है कि अब रुपया पीएम की उम्र से 6 साल आगे निकल गया है।

इसके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में लिखा, “भारत के इतिहास में आज रुपया आईसीयू में।” तंज कसते हुए उन्होंने लिखा, “आज रुपया मार्गदर्शक मंडल की उम्र कब का पार कर चुका है। देश में सबसे अधिक बेरोज़गारी है, महंगाई की मार ने कमर तोड़ दी है, सर्वाधिक महंगा पेट्रोल और डीज़ल है, मोदी है तो मुमकिन है।”

कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा गया है, “रुपया आईसीयू में, तेल कीमतें आसमान पर और शेयर बाजार में गिरावट, ये सब हुआ मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा दिया है।”

बता दें कि रुपये के कमजोर होने पर सबसे अधिक असर कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र पर भी पड़ेगा। क्योंकि रुपये के कमजोर होने पर महंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे। रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह महंगा होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा। इसके अलावा कच्चे तेल के आयात पर भी इसका असर पड़ेगा और इसके लिए विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा।

वहीं भारतीय रुपये के कमजोर होने को लेकर रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर ने कहा कि आर्थिक दृष्टिकोण और बढ़ती बॉन्ड यील्ड की चिंताओं के कारण वैश्विक इक्विटी में कमजोरी के चलते भारतीय रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार तेजी बने रहने से और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के लंबे चलने से पूरी दुनिया में मुद्रा स्थिति का दबाव बढ़ता नजर आ रहा है।