Republic Day: आज भारत अपना 76वां गणतंत्रता दिवस मना रहा है। देश के कोने-कोने में भारत का झंडा फहराया जा रहा है। लेकिन देश के पहले नागरिक यानी राष्ट्रपति द्वारा फहराए जाने वाले तिरंगे की अलग ही तैयारी होती है। आज के दिन कर्तव्य पथ पर सेना का शौर्य देखने का मिलता है साथ ही अलग-अलग राज्यों तथा देश की उपलब्धियों को झांकी के रूप में दिखाया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए हर वर्ष किसी न किसी देश को मुख्य अतिथि बनाया जाता है। ये परंपरा पहले गणतंत्र दिवस यानी 1950 से ही शुरू हुआ। गणतंत्र दिवस पर पाकिस्तान को मुख्य अतिथि बनाया जा चुकी है। हालांकि सबसे ज्यादा बार मौका फ्रांस को मिला है।
गणतंत्र दिवस के मौके पर इस वर्ष मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो को आमंत्रित किया गया है। हालांकि अभी तक के बीते 75 गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस, पाकिस्तान, अमेरिका, रूस, जापान समेत कई अन्य देशों को आमंत्रित किया जा चुका है। हालांकि मुख्य अतिथि का चयन किस प्रकार होता है। इसके साथ ही इस परंपरा का अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर इसके क्या मायने होते हैं। आइए जानते हैं।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के निमंत्रण की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है। हालांकि मुख्य अतिथि का चयन बहुत सोच-समझ कर रणनीति के तहत किया जाता है। इसके पीछे इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है।
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राजनीतिक संबंध- गणतंत्र दिवस अतिथि के चयन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध कैसे हैं। जिन देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं खास तौर पर उन्हीं देशों को निमंत्रण दिया जाता है।
आर्थिक और रक्षा सहयोग- भारत अपनी सुरक्षा ताकत को और बढ़ाने तथा आर्थिक सहयोग को ध्यान में रखते हुए मुख्य अतिथि के लिए चयन करता है। आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग भी एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है। गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में जिस देश के प्रमुख को आमंत्रित करने का विचार किया जा रहा है, उस देश के साथ भारत के व्यापारिक, रक्षा या अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संबंध होने चाहिए।
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वैश्विक संदर्भ- वर्तमान तथा भविष्य की अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए भी मुख्य अतिथि का चयन किया जाता है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध- गणतंत्र दिवस के मौके पर कई बार सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों का भी विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है। भारत के साथ जिन देशों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों के आधार पर भी मुख्य अतिथि के चयन का निर्णय किया जाता हैं।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का चयन अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुख्य अतिथि के चयन से न केवल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा और मजबूती मिलती है, बल्कि इससे भारत अपने आप को विश्व में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है। द्विपक्षीय वार्ता, व्यापारिक समझौते के साथ ही रक्षा सहयोग में भी वृद्धि होती है।