देश से बाहर रहने वाले भारतीयों के लिए मतदान के अधिकार के प्रस्ताव का एक उच्च स्तरीय संसदीय समिति ने समर्थन किया है। समिति ने इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक बैलेट (ई-बैलट) और प्रॉक्सी वोटिंग जैसे विकल्पों की सिफारिश की है, इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि देश से बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जा सके। समिति की मानें तो इसका मामला अभी कानून मंत्रालय के पास लंबित है।
केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर भारत सरकार के विदेशी मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं। प्रवासी भारतीयों को लेकर गुरुवार को संसद में पेश होने वाली रिपोर्ट की योजना बनाई जा रही है। इस रिपोर्ट में एनआरआई को सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। क्योंकि भारत सरकार के अलग-अलग कानूनों में इसका अर्थ अलग-अलग तरीके से दर्शाया गया है।
वोट देने के लिए विदेश से आना पड़ता है भारत
इस संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा नियम के मुताबिक एनआरआई को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के बावजूद वोट देने के लिए उसे शारीरिक रूप में भारत आना पड़ा है। समिति ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में एनआरआई भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं या फिर किसी और की नागरिकता लेकर दोहरी नागरिकता रखते है। जिसके आधार पर उनकी चुनावी भागीदारी समिति होती जा रही है।
चूंकि भारत से बाहर रहने वाले एनआरआई के वोटिंग का मामला अभी केंद्रीय कानून मंत्रालय के पास है। लेकिन विदेश मामलों की संसदीय समिति ने विदेश मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह कानून मंत्रालय से चुनाव आयोग के साथ मिलकर सक्रिय रूप से आगे बढ़े। समिति ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग और प्रॉक्सी वोटिंग जैसी संभावनाओं पर भी विचार करने को कहा है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसके लिए धारा 1950 के तहत बनाए गए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करते हुए राजनीतिक दलों से विचार विमर्श की आवश्यकता होगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2010 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 1950 20 ए में संशोधन करते हुए एनआरआई को सीमित मतदान का अधिकार दिया गया था। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में महज 2958 एनआरआई भारत आकर मतदान किए थे। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव के समय 1 लाख एनआरआई वोटर के रूप में रजिस्टर थे।