भारत ने अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ नागरिकों पर मुकदमे की सुनवाई के लिए पाकिस्तानी सैन्य अदालतों की अपारदर्शी कार्यवाही की धज्जियां उड़ा दी। भारत ने कहा कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों को न्यायिक या कानूनी रूप से प्रशिक्षित होना भी जरूरी नहीं होता। यहीं नहीं उनके पास कानून की डिग्री भी नहीं होती। भारत ने यह दलील तब दी जब भारतीय नागरिक जाधव (48) को जासूसी के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाने के मामले में चार दिवसीय सार्वजनिक सुनवाई सोमवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में शुरू हुई।

भारत की तरफ से पेश पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि विदेशी नागरिक को जीवन का अधिकार, निष्पक्ष मुकदमे और पारदर्शी न्यायपालिका का अधिकार है। साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान ने पिछले दो साल में अपारदर्शी कार्यवाही में अपनी सैन्य अदालतों में 161 नागरिकों को मौत की सजा सुनायी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय तकाजा है कि सभी अदालतों की तरह सैन्य अदालतों को भी निष्पक्ष, पारदर्शी और सक्षम होना चाहिए और निष्पक्षता की न्यूनतम गारंटी का सम्मान करना चाहिए।

साल्वे ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सैन्य अदालतें निष्पक्ष नहीं हैं और उनके सामने जो कार्यवाही होती है उसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी पालन नहीं होता।’’ उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सैन्य अदालतों के न्यायाधीशों को न्यायिक या कानूनी प्रशिक्षण, यहां तक कि कानूनी डिग्री की जरूरत नहीं होती। पाकिस्तान सैन्य अदालतों का इस्तेमाल नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए करता है और पाकिस्तान के संविधान में संशोधन कर ऐसा किया जा रहा है। भारत ने आईसीजे से अनुरोध किया कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को दिये गये मृत्युदंड को निरस्त किया जाए और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिये जाएं।

सेवानिवृत्त भारतीय नौसैन्य अधिकारी जाधव (48) को ‘‘जासूसी और आतंकवाद’’ के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद मौत की सजा सुनाई थी। जाधव की सजा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारतीय नागरिक जाधव तक राजनयिक संपर्क की अनुमति देने से बार बार इंकार करके वियना संधि के प्रावधानों का पाकिस्तान द्वारा ‘‘खुला उल्लंघन’’ करने पर भारत मई 2017 में आईसीजे की शरण में गया था।

आईसीजे में भारत और जाधव का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व सॉलीसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अदालतें इस अदालत में भरोसा उत्पन्न नहीं कर सकतीं और उन्हें इस मामले में पुर्निवचार करने का निर्देश देकर दोषमुक्त होने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए। भारत जाधव की दोषसिद्धि को निरस्त करने तथा यह निर्देश देने का अनुरोध करता है कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

साल्वे ने कहा, ‘‘विदेशी कैदी का जीवन जीने, निष्पक्ष सुनवाई और स्वतंत्र न्यायपालिका का अधिकार होता है। हालांकि, पाकिस्तान में सैन्य अदालतों ने बीते दो वर्ष में अपारदर्शी कार्यवाही में 161 नागरिकों को मौत की सजा सुनाई है।’’ उन्होंने आईसीजे से जाधव को इस कारण राहत देने का अनुरोध किया कि उनकी सुनवाई एक सैन्य अदालत में हुई है। आईसीजे मुख्यालय में सोमवार को चार दिवसीय सुनवाई शुरू हुई है। साल्वे ने सुनवाई के पहले दिन कहा,‘‘उनके (जाधव) द्वारा बीते तीन वर्ष में झेली गई मानसिक प्रताड़ना को देखते हुए, उनकी रिहाई का निर्देश देना मानवाधिकार को वास्तविक बनाने के लिए न्याय के हित में होगा।’’

पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने तीन मार्च 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से जाधव को उस समय गिरफ्तार किया था जब वह कथित रूप से ईरान से घुसे थे। हालांकि, भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद व्यवसाय के सिलसिले में गए थे।

आईसीजे में करीब तीन घंटे दलीलें देने वाले साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान का आचरण यह भरोसा पैदा नहीं करता कि जाधव को वहां न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा,‘‘’पाकिस्तान की हिरासत में एक भारतीय नागरिक मौजूद है जिसे सार्वजनिक रूप से आतंकवादी और बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने वाला भारतीय एजेंट घोषित किया गया है…।’’ साल्वे ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल दुष्प्रचार के लिए कर रहा है।