Kuldeep Yadav: पाकिस्तान में 28 साल जेल काटने के बाद कुलदीप यादव भारत लौटे हैं। कुलदीप को जेल के बाहर की दुनिया काफी हैरान करने वाली लगी। बता दें कि पाकिस्तान में जासूसी के मामले में कुलदीप यादव को 1994 में पकड़ा गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी। 59 साल के कुलदीप यादव 2013 के बाद से अपने परिवार के संपर्क में नहीं थे।
पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप यादव को रिहा करने का आदेश दिया था। उन्हें बाघा बॉर्डर से 28 अगस्त को भारत भेजा गया है। 25 अगस्त की रात को वो वापस अपने परिवार में लौटे।
स्मार्टफोन कुलदीप के लिए नई चीज:
कुलदीप यादव अपने घर पर अपने स्मार्टफोन को देखते हुए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह कैसे काम करता है। उनके लिए यह सब चीजें नई लग रही हैं। बता दें कि कुलदीप यादव को अहमदाबाद लौटे सात दिन हो चुके हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने उनके घर जाकर उनसे बात की। इस दौरान वो अहमदाबाद में अपने घर में पठान सूट पहने हुए बैठे हुए मिले।
“मैं अपने परिवार के सदस्यों को ही नहीं पहचान सकता”:
कुलदीप ने कहा, “इतने सालों के बाद मैं अपने घर के बाहर की सड़कों को भी पहचान नहीं सकता। परिवार में कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें मैं पहली बार देख रहा हूं। मुझे नहीं पता कि ये (स्मार्ट) फोन कैसे काम करते हैं और मुझे हर बार दिलीप (कुलदीप के 55 वर्षीय छोटे भाई) से मोबाइल चालू करने के लिए कहना पड़ता है।” वहीं दिलीप का कहना है कि मेरे भाई कुलदीप से मेरी आखिरी मुलाकात 1990 में होली के त्योहार के दौरान हुई थी।
गुजरात हाईकोर्ट में कुलदीप यादव की बहन द्वारा दायर एक याचिका में आधार पर जानकारी है कि यादव को साल 1991 में अहमदाबाद में रॉ सैन्य खुफिया के लिए बीएसएफ में द्वारा भर्ती किया गया था। इसके बाद उन्हें नई दिल्ली में प्रतिनियुक्त किया गया और उसके बाद उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया था।
वहीं 22 जून 1994 को पाकिस्तान में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद उनसे 30 महीने तक पूछताछ की गई। उसके बाद, उन्हें पाकिस्तान के कोर्ट मार्शल मिलिट्री कोर्ट ने 25 साल की कैद की सजा सुनाई थी। भारत आने के बाद कुलदीप को उम्मीद है कि भारत सरकार उनके साथ एक सेवानिवृत्त सैनिक जैसा व्यवहार करेगी और मुआवजा देगी। उन्हें खेती के लिए ज़मीन, पेंशन और घर बनाने के लिए जमीन दी जायेगी।