भारत और चीन के बीच पिछले करीब तीन महीनों से सीमा में घुसपैठ को लेकर तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की चार बैठकें हो चुकी हैं। इसमें बातचीत के बाद दोनों देशों ने गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा सेक्टर से सेना को पीछे करने जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन पैंगोंग सो को लेकर दोनों के बीच तनातनी जारी है। इस बीच भारत की तरफ से कोर कमांडर स्तर की बैठक में एक बार भी डेपसांग प्लेन्स में चीनी घुसपैठ के मुद्दे को नहीं उठाया गया है। वह भी तब जब डेपसांग प्लेन्स का इलाका भारत के लिए कूटनीतिक तौर पर ज्यादा अहम माना जाता है।
बताया जा रहा है कि चीनी सेना ने पैंगोंग सो में भारत को फिंगर-4 तक सीमित कर रखा है। हालांकि, डेपसांग प्लेन्स में यह इलाका पैंगोंग सो से भी बड़ा है। यानी भारतीय सेना की गश्त पर चीन की तरफ से लगाम लगाई गई है। डेपसांग को लेकर भारत की इस चुप्पी पर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई है। उन्हें डर है कि डेपसांग में भारत की चुप्पी से कहीं इस अहम इलाके में एक नई सीमा न तय हो जाए। माना जा रहा है कि चीन ने इस इलाके में घुसपैठ कर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को 18 किमी पश्चिम में धकेलने की कोशिश की है। अगर चीन की साजिश सफल होती है, तो भारत दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड के करीब कूटनीतिक रूप से अहम क्षेत्र को गंवा सकता है। साथ ही चीनी भी इस क्षेत्र से दार्बुक-श्योक-डीबीओ रोड के करीब आ जाएंगे।
पूर्वी आर्मी कमांड के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के मुताबिक, डेपसांग कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए पैंगोंग लेक से भी ज्यादा अहम है। यह भारत के लिए दौलत बेग ओल्डी एयरस्ट्रिप के साथ काराकोरम पर्वतीय क्षेत्र में जाने के लिए अहम है। DSDBO रोड इस जगह से सिर्फ 6 किमी ही दूर है और एलएसी में किसी भी तरह का बदलाव भारत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। चीन एलएसी को पश्चिम में धकेलकर अपने दो प्रांतों- शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ने वाले पश्चिमी हाईवे पर कब्जा करना चाहता है।
सेना के एक अफसर का कहना है कि चीन के सामने डेपसांग का मुद्दा अब तक इसलिए नहीं उठा है, क्योंकि यह जगह एलएसी पर बाकी हिस्सों की तरह दोनों सेनाओं के बीच टकराव का कारण नहीं बनी है। अफसर ने कहा कि जब पूरी सीमा पर तनाव कम करने की बात की जाएगी, तो भारतीय सेना जरूर डेपसांग के मुद्दे को उठाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना ने डेपसांग प्लेन्स के Y-जंक्शन या बॉटलनेक एरिया में भारी संख्या में सेना तैनात कर रखी है। इनमें जवानों के साथ भारी वाहन और विशेष सैन्य उपकरण भी शामिल हैं। बॉटलनेक डेपसांग प्लेन्स में वह छोटा दर्रा है, जहां दोनों तरफ पहाड़ियों की वजह से किसी वाहन का आना-जाना भी मुश्किल है। अप्रैल 2013 में भी चीन ने इस जगह पर टेंट लगा लिए थे। हालांकि, तब दोनों देशों की सेनाओं के बीच 3 हफ्ते तक आमना-सामना जारी रहा था और राजनयिक स्तर पर हुई बातचीत के बाद ही दोनों सेनाएं वापस लौटी थीं।

