कुछ बच्चों को पढ़ाई में सबसे मुश्किल विषय लगता है गणित। कुछ बच्चे ऐसे जरूर मिल जाएंगे, जिनका यह प्रिय विषय होता है। इसी तरह की बच्ची हैं प्रियांशी सोमानी, जो झट से सवालों के हल निकाल लेती हैं। प्रियांशी ने गणित हल करने में न सिर्फ विश्व रिकॉर्ड बनाया है, बल्कि कई रिकॉर्ड तोड़े भी हैं। प्रियांशी कभी कैलकुलेटर का इस्तेमाल नहीं करतीं।
प्रियांशी ने हाल ही में मन ही मन दिमाग में हिसाब लगाने का विश्व खिताब जीता है। हाल में जर्मनी के माग्ड़ेबुर्ग शहर में मन ही मन हिसाब लगाने की चौथी विश्व प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। गणित की विश्व प्रतिस्पर्धा- ‘मानसिक गणना विश्व कप 2020’ (मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2020) में पहला स्वर्ण हासिल किया। इससे पहले प्रियांशी 11 साल की उम्र में 2010 में हुए मानसिक गणना विश्व कप को भी अपने नाम कर चुकी हैं। दो बार यह कीर्तिमान का उसने विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
जर्मनी में जीत के बाद प्रियांशी ने अपने माता-पिता और दर्शकों के सामने गर्व से अपनी जीत की ट्रॉफी हाथ में उठाकर तस्वीरें खिचवाईं। अपने कंप्यूटर जैसे तेज दिमाग से उसे दस-दस अंकों वाली दस संख्याएं जोड़नी थी और तेजी से आठ अंकों वाली संख्याओं का गुणा भी करना था। मानसिक गणना विश्व कप में प्रतिभागियों को कम से कम समय में अत्यधिक जटिल गणितीय शृंखला को हल करने के लिए कहा गया। प्रियांशी ने सभी 37 प्रतिभागियों को हराकर 6.28 मिनट में वर्गमूल के 10 अलग-अलग तरीके से गणना कर हल निकाले।
इस प्रतियोगिता में 16 देशों से 37 लोगों ने हिस्सा लिया था। 11 साल की प्रियांशी सोमानी इस विश्व प्रतियोगिता में सबसे कम उम्र की भागीदार थी और सबसे बड़े भागीदार की उम्र 61 साल की थी। प्रियांशी के बाद दूसरे स्थान पर स्पेन के मार्क जोर्नेट सैंस और तीसरे स्थान पर स्पेन के ही अल्बर्टो कोटो आए। अल्बर्टो कोटो ने साल 2008 की इसी प्रतियोगिता में विश्व खिताब जीता था।
गुजरात के सूरत शहर में जन्मी प्रियांशी को बचपन से ही गणित के सवालों के साथ खेलने का शौक था। छह साल की उम्र में जब बच्चे खिलौनों की जिद करते हैं, उसी उम्र में प्रियांशी कॉपी कलम के बगैर ही सवाल हल कर देती थीं। 2006 में भारत में आयोजित अबेकस और मानसिक अंकगणितीय प्रतियोगिता में महज छह साल की उम्र में ही वह राष्ट्रीय चैंपियन बन गईं। इसके बाद 2010 के विश्व कप में उन्होंने महज 6:51 मिनट में सवाल का हल निकालकर प्रतियोगिता में पहला स्थान जीता।
प्रियांशी ने तीन जनवरी 2012 को वर्गमूल की सबसे तेज गणना के लिए एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करके अपने गणितीय प्रतिभा की स्थापना की। प्रियांशी ने छह अंकों की संख्या का आठ अंकों तक वर्गमूल ज्ञात किया था, वो भी 6.51 मिनट में। वह 2011 के विश्व गणित दिवस के मौके पर भारतीय राजदूत बनीं। 2007 में उन्होंने पहली बार मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अबेकस प्रतियोगिता में चैंपियन बनीं। गणित के अलावा प्रियांशी थिएटर में वक्त बिताना पसंद करती है। अभी वह अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं और खुद को भविष्य के लिए तैयार कर रही हैं।