गलवान घाटी, जहां 15 जून की रात हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, वहां कभी लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के गाने गूंजा करते थे। भारत चीन के बीच हुए 1962 युद्ध में हिस्सा लेने वाले फुनचोक ताशी बताते हैं कि एक समय था, जब चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को उनका दोस्त दिखाने के लिए लाउडस्पीकर पर हिंदी गाने बजाया करते थे।
लेह से 17 किलोमीटर दूर एक गांव में रिटायर्ड जीवन बिता रहे 84 वर्षीय ताशी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चीनी सैनिक उस वक्त लता मंगेशकर का नागिन फिल्म का गाना “मन डोले मेरा तन डोले” और मोहम्मद रफी का इसी फिल्म का गीत “तुमसा नहीं देखा” बजाया करते थे।
ताशी के अनुसार, “मैं उस वक्त 14 J&K मिलिशिया कंपनी (जो कि अब लद्दाख स्काउट कहलाती है) का हिस्सा था और दौलत बेग ओल्डी में तैनात था। हमें गलवान घाटी पहुंचने का आदेश मिला। उस वक्त हम गलवान घाटी में अपनी पोस्ट को नई पोस्ट कहते थे….वहां विमानों से सैनिकों के लिए राशन गिराया जाता था। हम घोड़ो और याक पर पेट्रोलिंग करते थे। मुझे याद है कि चीनी सैनिक दूसरी तरफ पहाड़ियों पर बैठे होते थे, जबकि हम इस तरफ सपाट जमीन पर तैनात थे। ”
ताशी ने बताया कि “उस वक्त काफी दिनों तक तनातनी की स्थिति रही थी। वह पहाड़ियों पर बैठे होते थे और हम अपनी तरफ सपाट इलाके में, वे लाउडस्पीकर लगाकर हिंदी में कहते थे, “ये जगह ना आपका है, ना हमारा है, आप भी वापस जाओ और हम भी वापस जा रहे हैं।” इसके बाद लंच टाइम में वो गाने चलाते थे और कई दिनों तक उन्होंने ऐसा ही किया।”
ताशी का कहना है कि चीनी सैनिक हिंदी गाने बजाकर हमें यह जताना चाहते थे कि वह हमारे दोस्त हैं। ताशी साल 1988 में सेना से ऑनरेरी कैप्टन की पोस्ट से रिटायर हुए हैं। उन्होंने बताया कि “एलएसी पर चीन की गतिविधियां 1962 में भी ऐसी ही थीं लेकिन कभी विवाद नहीं हुआ था। अब घुसपैठ की क्या वजह है यह तो वह नहीं जानते हैं लेकिन अब भारत ने एलएसी के करीब कई सड़कें बना दी हैं, जिससे चीन को खतरा महसूस होता है।”