भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीने से तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच अब तक छह बार कोर कमांडर स्तर की बैठक हो चुकी है। हालांकि, इसके बावजूद दोनों ही सेनाओं ने पीछे हटने के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। लद्दाख में जिस जगह पर दोनों सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति बनी है, वहां अक्टूबर के मध्य से ही भीषण ठंड का माहौल पैदा हो जाता है। ऐसे में भारतीय सेना अब इस सर्दी को काटने के लिए तैयारियां पूरी करने में जुटी है।

जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना एलएसी पर सर्दी का सामना करने के लिए रूसी टेंट्स इस्तेमाल करेगी। दरअसल, इन टेंट्स की खास बात यह है कि इनमें रूस के साइबेरियाई क्षेत्र में रहने वाले सैनिक भी रह लेते हैं। ऐसे में भारतीय सेना ने इन्हीं टेंट्स पर भरोसा जताया है। इसके लिए कानपुर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को टेंट्स का ऑर्डर दे दिया गया है। दूसरी तरफ चीन ने अपने सैनिकों के लिए पैंगोंग सो और एलएसी स्थित कुछ अन्य टकराव वाली जगहों पर सेमी-परमानेंट ढांचे खड़े कर लिए हैं।

अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से सेना से जो कंपनियां टेंट्स बनाने का कॉन्ट्रैक्ट लेती थीं, वे काफी समय तक बंद रहीं। ऐसे में रूसी टेंट्स सर्दी के लिए एकमात्र बेहतर और प्रभावी विकल्प के तौर पर उभरे हैं। इसके अलावा सैन्य टुकड़ियां खुद को बचाने के लिए देसी जुगाड़ करने में भी जुटी हैं। बताया गया है कि आईटीबीपी जवान, जो ऐसे मौसम के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं, उन्होंने फैसला किया है कि वे खाने के लिए शक्करपारे पर निर्भर रहेंगे। गेहूं के आटे और शक्कर से बने शक्करपारों को सुपर फूड भी कहा जाता है। शक्कर और गेहूं दोनों ही मुश्किल समय में ऊर्जा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा इन्हें बनाना और साथ रखना भी आसान है।

लद्दाख में इतनी ऊंचाई पर पानी की मौजूदगी भी एक बड़ी समस्या होने वाली है। कई फॉरवर्ड एरिया में तो पाइप से पानी पहुंचाया जाता है, पर भीषण ठंड में पाइप में भी पानी जम जाता है। ऐसे में चुशुल में रहने वाले स्थानीय लोग भी सेना के लिए पानी पहुंचाते हैं। सेना सर्दी में बर्फ को पानी के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करती है। बर्फ को हीटर पर पिघलाकर पानी के रूप में रख लिया जाता है।