भारतीय सेना उग्रवादी संगठन एनएससीएन(खापलांग) के कैंप पर हमला करने के लिए म्यांमार सीमा में सैंकड़ों मीटर अंदर तक गई थी। सरकार में मौजूद सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार सेना की 12 पैरा ने अंतररराष्ट्रीय सीमा पर पिलर 151 के पास चेन मोहो गांव के पास से म्यांमार में प्रवेश किया। इसके बाद कई घंटों तक जवान म्यांमार की सीमा में रहे और शुक्रवार सुबह उनकी उग्रवादियों के साथ फायरिंग हुई। गौरतलब है कि पिछले साल जून में भी सेना ने म्यांमार के अंदर घुसकर कार्रवाई की थी। यह कार्रवाई मणिपुर में 15 जवानों की हत्या के जवाबी हमले के रूप में की गई थी।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”यह रेड एनएससीएन(के) पर दबाव बनाए रखने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशंस का हिस्सा है। ऐसे ऑपरेशन चल रहे हैं और आगे भी ऐसा होता रहेगा।” शुक्रवार को भारतीय सेना के अधिकारियों ने सैन्य दस्ते के भारत-म्यांमार सीमा पार करने की बात से इनकार किया था। हालांकि पिछले कई दशकों से भारतीय सेना म्यांमार में घुसकर उग्रवादियों पर हमला कर रही है लेकिन इसे बहुत कम सार्वजनिक किया जाता है। इस बारे में भारत-म्यांमार सीमा सुरक्षा से जुड़े एक नौकरशाह ने बताया, ”म्यांमार भारत की चिंताओं को समझता है। लेकिन यह इस बात को भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर सकता कि वह अपनी सीमा में भारतीय ऑपरेशंस को अनुमति देता है। पिछले साल कुछ लोगों ने जब इस बात को सार्वजनिक किया तो काफी परेशानी हुई थी। उन्हें शांत करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी।”
सरकारी सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को फायरिंग होने के बाद मोन जिले के एसपी यांग्बा कोनयाक के नेतृत्व में नागालैंड पुलिस अधिकारी चेन मोहो गांव के लिए दौड़े। उन्हें यह डर था कि फायरिंग के दौरान कहीं भारतीय सीमा में रहने वाले नागरिक न मारे जाए। दिल्ली में बैठे अधिकारियों ने बताया कि 12 पैरा यूनिट जंगल में थोइलू गांव के करीब उग्रवादियों के कैंप के करीब पहुंची। लेकिन उग्रवादियों को इस बात की भनक लग गई। सुबह छह बजे तक फायरिंग जारी रही। वहीं एनएससीएन(के) ने दावा किया है कि फायरिंग में पांच से छह भारतीय कमांडो मारे गए। भारतीय सेना ने इसे खारिज किया है।