Indian Army Arms Ammunition Production: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पूरी दुनिया में पिछले तीन सालों से अस्थिरता की स्थिति है और भारत रूस का एक अहम रक्षा साझेदार है लेकिन हाल के वर्षों में युद्ध के चलते रक्षा क्षेत्र के उपकरणों और गोला-बारूद की सप्लाई चेन काफी प्रभावित हुआ। इस दौरान भारत ने खुद को थोड़ा ज्यादा पुश किया, जिसके चलते भारतीय सेना के लिए गोला बारूद से लेकर बम-बंदूक तक बनाए जा रहे हैं और भारतीय तोपखानों को ज्यादा मजबूत किया जा रहा है।
भारतीय सेना के टॉप लेवल के अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि अपनी तोपों के लिए 155 मिमी गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन से लेकर सेना के लिए विभिन्न प्रकार की तोप प्रणालियों की खरीद तक का काम तेजी से हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया है कि भारत के तोपखाने के आधुनिक बनाने की योजना पर भी युद्ध स्तर पर काम जारी है।
सेना ने खुद को मजबूत करने के लिए उठाए कदम
सेना की आर्टिलरी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने यह भी कहा कि पिनाका रॉकेट प्रणालियों की रेंज को चार गुना तक बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं और वे विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम रॉकेट प्रणालियों के बराबर हैं। दरअसल, लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने भारतीय सेना की आर्टिलरी प्लानिंग को लेकर कहा कि सेना ने रूस यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई चेन संबंधी चुनौतियों के लिए खुद को मजबूत करने के लिए अहम कदम उठाए हैं।
शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा कि सेना के प्रयासों में विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन पर जोर देना शामिल हैं। इसके अलावा गोला-बारूद का उत्पादन करने वाली कई निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को शामिल करके इसे बेचने की भी प्लानिंग है। उन्होंने कहा कि पहले हम 155 मिमी गोलाबारूद के उत्पादन के लिए एक एजेंसी पर निर्भर थे। अब मेक इन इंडिया परियोजना के तहत सभी प्रकार के 155 मिमी गोलाबारूद का उत्पादन सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है और उसके अच्छे रिजल्ट्स मिले हैं।
बड़े फ्यूचर प्लान पर काम कर रही बीजेपी
सैन्य अधिकारी अदोष कुमार ने कहा है कि अक्टूबर और नवंबर में सेना निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के 155 मिमी गोला-बारूद का परीक्षण करेगी। उन्होंने कहा कि गोला-बारूद निर्माण में न केवल गोले शामिल होंगे, बल्कि द्वि-मॉड्यूलर चार्ज प्रणाली और गोले के सामने फ्यूज भी शामिल होगा।
इसके अलावा, सेना के लिए भविष्य के गोला-बारूद का उत्पादन और प्रेरण भी योजना में है। इसमें न्यूक्लियर गोला-बारूद शामिल है – जिसका इस्तेमाल प्रमुख वैश्विक सेनाओं द्वारा किया जाता है – और इसे खरीदने के प्रस्ताव को पिछले साल रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने मंजूरी दे दी थी।
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रूस यूक्रेन युद्ध से मिला सबक
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितम्बर में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने सेना के तोपखाने में रॉकेट और तोपों का विवेकपूर्ण मिश्रण रखने की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि अधिक सटीक निशाना लगाने की वाली प्रणाली की तकनीक हासिल की जा सके।
रूस यूक्रेन युद्ध से भारतीय तोपखाने के लिए ऐसे महत्वपूर्ण सबक सामने आए हैं जिन्हें अब इसके सिद्धांतों और क्षमता विकास योजनाओं में शामिल किया जा रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने यह भी कहा कि कई तोपों के लिए कॉन्ट्रैक्ट आखिरी फेज में है, और इस वित्तीय वर्ष के भीतर पूरा हो सकता है। इसमें डीएसी ने पहले ही 100 अतिरिक्त के9 वज्र ऑटोमेटिक हॉवित्जर खरीदने की मंजूरी दे दी है और आगे की प्रक्रिया अभी चल रही है।
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तोपखानों को आधुनिक बनाने पर हो रहा काम
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम या एटीएजीएस की परीक्षण रिपोर्ट का मूल्यांकन किया जा रहा है और 300 ऐसी गन प्रणालियों की खरीद के लिए जल्द ही एक अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। सेना ने पहले ही जबलपुर स्थित एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआईएल) के साथ धनुष तोपों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, तथा वहां स्थित सेना की टीमें धनुष और शारंग तोप प्रणालियों के विकास की प्रगति पर बारीकी से नजर रख रही हैं।
सबसे मजबूत है पिनाका रॉकेट सिस्टम
पिनाका रॉकेट सिस्टम को दुनिया की सबसे बेहतरीन रॉकेट सिस्टम में से एक बताते हुए लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि इसकी रेंज को चार गुना तक बढ़ाने के लिए काम चल रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) पिनाका रॉकेट की रेंज को 120 और 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की संभावना तलाश रहा है। उन्होंने कहा कि ये रॉकेट सिस्टम बहुमुखी हैं क्योंकि ये कई तरह के हथियार दाग सकते हैं और यहीं से युद्ध के मैदान में इनकी प्रभावशीलता सामने आती है।