Indian Air Force Aerial Strike: भारत और पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच उत्तरी कश्मीर के उरी कस्बे के गांव बालाकोट के बाशिंदे खौफ में हैं। ये जगह पहाड़ियों पर तैनात पाकिस्तानी सैन्य चौकियों की जद में आती है। गांव के लोग इस दुविधा में हैं कि वे सुरक्षित स्थानों को जाएं या गांव खाली करने के आधिकारिक ऐलान का इंतजार करें। स्थानीय निवासी और पूर्व सैनिक फारूख अहमद ने बताया, ‘हम आश्वस्त नहीं हैं कि क्या करें। हम जंग के बीच फंस गए हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हम अपने घर छोड़ देंगे तो हमें नहीं पता कि कहां जाना है। अगर हम गांव छोड़ते हैं तो हमारे घरों की हिफाजत कौन करेगा?’ एलओसी से सटे गांवों में यह सवाल सभी के जेहन में तब से घूमने लगा, जब स्थानीय बाशिंदों की नींद गोलाबारी की आवाज से खुली। कुछ घंटे बाद, जम्मू क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के बीच संघर्ष हुआ।

बता दें कि मंगलवार को बालाकोट उस वक्त सुर्खियों में आ गया, जब जैश के आतंकी ठिकाने पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई की बात सामने आई। हालांकि, बाद में यह साफ हो गया कि जिस बालाकोट में इस अभियान को अंजाम दिया गया, वो पाकिस्तान के काफी अंदर खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में है। उधर, कश्मीर के बालाकोट के नागरिक 31 वर्षीय शबीर अहमद ने बताया, ‘पुलवामा हमले के बाद से हम सो नहीं पाए हैं क्योंकि हर कोई डरा हुआ है कि कुछ भी हो सकता है। हम सबसे पहले निशाना बनते हैं और आगे भी रहेंगे जब भी सीमा पर गोलीबारी होती है।’

एलओसी के नजदीक पाकिस्तान से सटे आखिरी गांवों में से एक सिलिकोट के नागरिकों ने भी बुधवार सुबह से गांव छोड़ना शुरू कर दिया। इस गांव में महज 20 परिवार ही रहते हैं। गांव के ही एक बाशिंदे ने बताया कि उसने अपने परिवार को उरी में रहने वाले अपने रिश्तेदार के यहां भेज दिया है। वहीं, बालकोट के एक अन्य नागरिक ने दावा किया कि उसे दोपहर में स्थानीय आर्मी कैंप से कॉल आया। इसमें रात को लाइटें बंद करने का निर्देश दिया गया। उसने कहा, ‘हालांकि यहां सभी को यही लगता है कि रात के वक्त लाइट जलाए रखने का मतलब यह है कि हम निशाना नहीं बनेंगे। हम अपनी जान खतरे में नहीं डालना चाहते।’ स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन गांवों में किसी में भी बंकर नहीं है।

गांववालों का दावा है कि 2005 में आए भूकंप के बाद बंकर तबाह हो गया, इसके बाद सरकार ने इन्हें दोबारा बनाने की सुध नहीं ली। बालाकोट की रहने वाली 70 साल की मीरा बेगम ने कहा, ‘मेरे बेटों ने सेना में सेवा दी है। क्या हम इस देश के हिस्सा नहीं हैं। सरकार को हमारे बारे में चिंता क्यों नहीं है? ऊपरवाला भी हमारी नहीं सुन रहा और न ही हमारी सरकार। हमें क्या करना चाहिए।’ वहीं, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट रियाज मलिक ने कहा कि यूरी में एक इमर्जेंसी कंट्रोल रूम बनाया गया है। उनके मुताबिक, सभी तैयारियां पूरी हैं। अगर उरी में सीजफायर उल्लंघन होता है तो जानमाल को कोई नुकसान नहीं होगा।