भारत में 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार परेड का रूट छोटा किया जा रहा है। कोरोनावायरस महामारी के चलते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के शिरकत न कर पाने की वजह से इस बार परेड के लिए कोई अन्य विशेष अतिथि भी नहीं बुलाया गया है। हालांकि, परेड की छटा इस बार भी पहले जैसी ही रखने की तैयारियां हैं। भारत इस बार भी परेड में अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करेगा। पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम से लेकर टी-90 भीष्म टैंक और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लेकर राफेल तक कुछ ऐसे हथियार होंगे, जो इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनेंगे।

राफेल विमान: राफेल लड़ाकू विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है, साथ ही ये दो इंजन वाला विमान है जिसको भारतीय वायुसेना को दरकार थी। राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल। राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है। राफेल का रडार सिस्टम है 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है।

पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम: पिनाका मुख्य तौर पर एक मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम है, जो कि 44 सेकंड के अंतराल में ही 12 रॉकेट्स दाग सकता है। इसकी एक बैट्री में छह लॉन्च व्हीकल्स शामिल होते हैं। इसमें लोडर सिस्टम के साथ रडार भी जुड़ी है। साथ ही इसे कमांड पोस्ट के जरिए नेटवर्क बेस्ड सिस्टम से जोड़ा जाता है। पिनाका के मार्क-1 वर्जन की मारक क्षमता 40 किमी तक है, जबकि मार्क-2 वर्जन की मारक क्षमता 75 किमी तक है।

बीएमपी-2: बीएमपी असल में रूसी रक्षा प्रणाली है, जिसे Boyevaya Mashina Pekhoty यानी इंफेंट्री कॉम्बैट व्हीकल कहते हैं, जो एंफीबियस कैटेगरी का है यानी सतह और पानी दोनों पर चल सकता है। शरथ बीएमपी-2 की पानी पर रफ्तार 7 किमी प्रतिघंटा तक है और यह 35 डिग्री के एंगल पर चल सकता है। कम वजन की वजह से इस गाड़ी को हवाई मार्ग से कहीं भी पहुंचाया जा सकता है। इसके चारों तरफ आर्मर्ड प्लेट्स भी होती हैं, जिससे इसे हर तरफ से सुरक्षा मिलती है। बीएमपी-2 में 7.62 एमएम की मशीन गन लगी होती है। सात ही इसमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भी लगाई जाती है।

T-90 भीष्म टैंक: गणतंत्र दिवस परेड में यह टी-90 टैंक दिखाई देगा। यह टैंक थर्ड जनरेशन का रशियन टैंक है, जिसे हम भीष्म कहते हैं। इसमें 125 एमएम की गन है जो पांच तरह के गोला-बारूद फायर कर सकती है। यह आर्मी का अकेला ऐसा टैंक है जो गाइडेड मिसाइल भी फायर कर सकता है। यह 5 किलोमीटर दूर तक किसी भी टारगेट को लॉक कर उसे नष्ट करने की क्षमता रखता है। इसमें 7.62 एमएम की गन भी है जो पैदल सेना के टारगेट जैसे जिप्सी या ट्रक को निशाना बना सकती है, उसके लिए मेन गन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। हवाई टारगेट जैसे ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर, अटैक हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन को भेदने के लिए इसमें 12.7 एमएम NSVT गन है।

ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल: सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम के तहत विकसित किया गया है। यह 400 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक टारगेट को भेद सकती है। रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को पनडुब्बी, युद्धपोत, लड़ाकू विमान और जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है। अनुमान के मुताबिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 450 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाने को तबाह कर सकती है। इसकी रफ्तार 3450 किमी प्रतिघंटा तक है। साथ ही यह 15 किमी तक ऊंचाई में भी लक्ष्य को भेद सकती है।

शिल्का एयर डिफेंस सिस्टम: फरवरी 2020 में भारतीय सेना ने अपने रूसी शिल्का एयर डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड कर इसे आधुनिक हथियार प्लेटफॉर्म बनाया था। नए सिस्टम में पुराने रडार, एनॉलाॉग कंप्यूटर, इंजन बदला गया था। साथ ही इसका पावर और ट्रैकिंग को बेहतर किया गया था। इसके बाद यह डिफेंस सिस्टम बिल्कुल नए रूप में सामने आया है।