भारत ने ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल के नए वर्जन का बुधवार को सफल परीक्षण किया। अब ब्रह्मोस मिसाइल से 400 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को भी भेदा जा सकेगा। इस परीक्षण में मिसाइल पूरी तरह सफल साबित हुई है। इससे पहले सितंबर 2019 में डीआरडीओ ने इसी मिसाइल के 290 किमी तक मार करने की क्षमता वाले वर्जन का सफल परीक्षण किया था।

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने इस मिसाइल का परीक्षण पीजे-10 प्रोजेक्ट के तहत किया है। इस टेस्ट के लिए मिसाइल को देश में बने बूस्टर का इस्तेमाल कर लॉन्च किया गया। ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड वर्जन का यह दूसरा सफल परीक्षण है। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले से ही शामिल है।

जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस का पहले ही हो चुका है परीक्षण: ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था। पिछले साल सितंबर में ही डीआरडीओ ने 290 किमी तक दूरी तक वार करने वाली ब्रह्मोस का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया था।

फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश दिखा रहे हैं ब्रह्मोस में दिलचस्पी: डीआरडीओ के चीफ सतीश रेड्‌डी पहले ही बता चुके हैं कि भारत के ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम में कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसके बारे में जानकारी मांगने वाले देशों में फिलीपींस और वियतनाम भी शामिल हैं। इन दोनों देशों ने भी ब्रह्मोस खरीदने की इच्छा जाहिर की है। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक भारत और रूस ने मिलकर विकसित की है। ब्रह्मोस दुनिया में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है, जो सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जा सकती है। भारतीय सेना के तीनों अंग ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण इस्तेमाल करते हैं। थल सेना, वायु सेना और नौ सेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है।