उधर इजराइली सेना ने भारत के साथ संयुक्त रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली एक आधुनिक मिसाइल बराक-8 का पहली बार एक पोत से सफल परीक्षण किया है। अग्नि का परीक्षण ओड़िशा तट से निकट स्थित एक परीक्षण रेंज से ‘स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड’ के प्रशिक्षण अभ्यास के तहत किया गया। जमीन से जमीन पर मार करने में सक्षम यह एकल चरणीय मिसाइल ठोस प्रणोदकों से संचालित होती है। इसका परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) पर स्थित इंटीग्रेटेड टैस्ट रेंज के लांच पैड-4 से 10 बजकर दो मिनट पर किया गया।

रक्षा सूत्रों ने इसे एक ‘उत्तम प्रक्षेपण’ करार देते हुए कहा कि यह परीक्षण ‘भारतीय सेना के स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड के प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा’ था। उन्होंने कहा, यह अभ्यास उत्तम ढंग से अंजाम दिया गया और परीक्षण सफल रहा।

सूत्रों ने कहा, यह प्रक्षेपण संचालनात्मक तत्परता को मजबूती देने के लिए एसएफसी द्वारा समय-समय पर की जाने वाली प्रशिक्षण गतिविधियों के तहत अंजाम दिया गया। इस परीक्षण के प्रक्षेपण पथ पर आधुनिक रडारों, टेलीमेट्री प्रेक्षण केंद्रों, इलेक्ट्रोआॅप्टिक यंत्रों और नौवहन पोतों के जरिए सटीक नजर रखी गई। यह निगरानी इसके प्रक्षेपण स्थल से लक्षित क्षेत्र तक पहुंचने तक की गई। अग्नि-1 मिसाइल में आधुनिक नेविगेशन प्रणाली लगी है, जो कि मिसाइल का बेहद सटीक ढंग से लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित करता है। सूत्रों ने कहा कि मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है।

इसने मारक दूरी, सटीकता और मारक क्षमता के क्रम में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन को साबित किया है। 12 टन के वजन और 15 मीटर की लंबाई वाली अग्नि-1 मिसाइल अपने साथ एक टन से ज्यादा का पेलोड ले जा सकती है। इसकी मारक दूरी को पेलोड कम करके बढ़ाया जा सकता है। अग्नि-1 का विकास डीआरडीओ की प्रमुख मिसाइल विकास प्रयोगशाला एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेट्री ने रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्र इमारत के साथ मिलकर किया। इसका समाकलन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, हैदराबाद की ओर किया गया। अग्नि-1 का पिछला परीक्षण 11 सितंबर 2014 को इसी बेस से किया गया था और वह सफल रहा था।

यरूशलम से मिली खबर के अनुसार, इजराइली सेना ने भारत के साथ संयुक्त रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली एक आधुनिक मिसाइल का पहली बार एक पोत से सफल परीक्षण किया है जिसे गैस क्षेत्रों जैसे महत्त्वपूर्ण अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा। इजराइली सेना के सूत्रों ने कहा, अपनी तरह के पहले अभियान में एक इजराइली नौसैन्य जहाज से दागी गई बराक-8 मिसाइल ने दुश्मन लक्ष्य पर सफलतापूर्वक निशाना साधा और 100 प्रतिशत सफलता दर्ज की गई। बराक-8 का किसी पोत से पहली बार परीक्षण किया गया और इसने दुश्मन लक्ष्य के रूप में दिए गए एक छोटे ड्रोन पर निशाना साधा ।

यह करीब दो साल में परिचालन में आ जानी चाहिए । उन्होंने कहा, प्रणाली का अगला परीक्षण इस साल दिसंबर में भारतीय नौसेना के पोत से किए जाने की संभावना है। परीक्षण के लिए भारतीय पोत आइएनएस कोलकाता का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है क्योंकि पोत पर लांचर और मिसाइलों का पता लगाने के लिए रडार पहले ही तैनात किए जा चुके हैं ।
डीआरडीओ, इजराइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आइएआइ), इजराइल्स एडमिनिस्ट्रिेशन फॉर डेवलपमेंट आॅफ वेपंस एंड टेक्नोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, एल्टा सिस्टम्स, राफेल और अन्य कंपनियों द्वारा इस मिसाइल का संयुक्त रूप से विकास किया जा रहा है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) को मिसाइल उत्पादन का काम सौंपा जाएगा। शुरुआती 32 मिसाइल आइएनएस कोलकाता पर तैनात की जाएंगी। ारा पहले से ही इस्तेमाल की जा रही बराक मिसाइल प्रणाली का उन्नत संस्करण है ।