चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए भारत ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अपनी महाविनाशक पनडुब्‍बी को चुपके से लॉन्‍च कर दिया है। यह अरिहंत श्रेणी की तीसरी परमाणु पनडुब्‍बी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे 23 नवंबर को विशाखापत्‍तनम स्थित गोपनीय शिप बिल्डिंग सेंटर से लॉन्‍च किया गया।

जेंस डिफेंस वीकली की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पनडुब्‍बी करीब 7 हजार टन की है जो अब तक बनी दो अन्‍य पनडुब्बियों से ज्‍यादा है। मैगजीन की 29 दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पनडुब्‍बी को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया गया है। यह सबमर्सिबल बल‍िस्टिक न्‍यूक्लियर सबमरीन अरिहंत श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी है और इसे S4 कहा जा रहा है। इससे पहले आईएनएस अरिघात और आईएनएस अरिहंत को लॉन्‍च किया जा चुका है।

रक्षा मामलों की मैगजीन के मुताबिक, अरिघात को नवंबर 2014 में लॉन्च किया गया था और वर्तमान में उसके कमीशन्ड होने इंतजार है, जिसमें कथित तौर पर COVID-19 महामारी के कारण देरी हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि S4 पनडुब्‍बी अपनी पूर्ववर्ती दो अन्‍य पनडुब्बियों की तुलना में थोड़ा बड़ी है और करीब 7 हजार टन की है। मैगजीन ने सैटलाइट तस्‍वीरों के आधार पर भारत के तीसरे परमाणु पनडुब्‍बी के लॉन्च किए जाने का खुलासा किया है।

इसमें कहा गया है कि एस4 पनडुब्‍बी में 8 मिसाइल लॉन्‍च ट्यूब लगे हुए हैं और यह 8 K-4 सबमरीन लॉन्‍च बलिस्टिक मिसाइल ले जा सकती है जिसकी मारक क्षमता 3500 किमी बताई गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस पनडुब्बी पर 24 के-15 मिसाइल को भी तैनात किया जा सकता है। भारत अभी के-4 मिसाइल विकसित कर रहा है और जल्‍द ही इसका परीक्षण किया जा सकता है।

कुछ दिनों पहले, भारत ने बालासोर में लांग रेंज सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसे डीआरडीओ और नेवी ने मिलकर तैयार किया है। डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं ने इस उन्नत मिसाइल प्रणाली के लिए विभिन्न तकनीकों का विकास किया है। यह प्रणाली अगली पीढ़ी की मिसाइल आधारित गतिरोध टारपीडो वितरण प्रणाली है।