भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में महत्वपूर्ण स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकारी भवनों, सीवेज उपचार संयंत्रों, जल उपचार संयंत्रों, अदालतों और विदेशी दूतावासों सहित सभी महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने बाजार, रेलवे स्टेशन, मॉल, पार्क और मेट्रो स्टेशन सहित अधिक आवाजाही वाले क्षेत्रों में भी चौकसी बढ़ा दी है। बढ़ते तनाव के बीच गुरुवार रात दिल्ली पुलिस के सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं।
इस बीच दिल्ली के सैकड़ों स्कूलों में बुधवार को सायरन बजाने, ब्लैकआउट करने और मॉक ड्रिल जैसी गतिविधियां सरकार द्वारा अनिवार्य अभ्यास के हिस्से के रूप में की गईं लेकिन कई छोटे बच्चों के लिए, इस अभ्यास ने जागरूकता से अधिक चिंता पैदा की। माता-पिता और स्कूल प्रिंसिपल-टीचर अब इस संवेदनशील मुद्दे पर बच्चों को समझाने और तैयार करने के लिए आग्रह कर रहे हैं ताकि बच्चों को जो कुछ उन्होंने देखा और महसूस किया, उसे समझने में मदद मिल सके।
करण अग्रवाल जिनकी बेटी लोधी एस्टेट स्थित सरदार पटेल विद्यालय में कक्षा एक में पढ़ती है, उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अभ्यास के बाद जब उनकी बेटी घर लौटी तो वह काफी सहमी हुई थी। करण ने कहा, “लड़ाई होने वाली है, बस यही बात उसे समझ में आई। उसने मुझे गर्मियों की छुट्टियों में कश्मीर जाने के लिए मना लिया था। अब जब मैंने जोर देकर कहा कि हम नहीं जा सकते, यह असुरक्षित है तो उसे एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है।
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बच्चों को आपात स्थितियों के प्रति संवेदनशील बनाएं
अग्रवाल ने कहा कि मॉक ड्रिल से पहले अभिभावकों में काफी असमंजस की स्थिति थी। उन्होंने कहा कि बच्चों को आपात स्थितियों के प्रति संवेदनशील बनाना महत्वपूर्ण है, खासकर उनकी मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए। मॉक ड्रिल के बाद स्कूल ने सभी अभिभावकों को एक ईमेल भेजा जिसमें उपयोगी तकनीकों की सूची दी गई थी।
इसमें कहा गया है, “मौजूदा माहौल ने सभी के लिए सतर्कता, अनिश्चितता और संकट की स्थिति पैदा कर दी है। वयस्क होने के नाते हम संवाद करने, ठोस जानकारी खोजने और खुद को शांत करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम हैं, वहीं बच्चों के लिए उन भावनाओं को व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण है जो उन्होंने पहले महसूस नहीं की हैं।” ईमेल में यह भी कहा गया है कि सायरन और ब्लैकआउट, हालांकि जरूरी थे, लेकिन छोटे बच्चों के कई प्रश्न अनुत्तरित रह गए। स्कूल अधिकारियों ने बच्चों की चिंता को महसूस किया और बातचीत के माध्यम से इसे दूर करने की कोशिश की। माता-पिता को भी सावधानी बरतने के सुझाव दिए गए हैं।
बच्चों को भारत-पाक तनाव के बारे में कैसे समझाएं?
नोएडा के श्री श्री रविशंकर विद्या मंदिर (SSRVM) में पढ़ने वाली 7 वर्षीय बेटी की मां ने भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, इस अभ्यास का मेरी बेटी के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और एक अभिभावक के रूप में यह बहुत चिंताजनक है।”
साउथ दिल्ली के सलिल भाटिया, जिनके दो बच्चे ईस्ट ऑफ़ कैलाश स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में कक्षा 2 और कक्षा 4 में पढ़ते हैं, उन्होंने कहा कि जब मेरे बच्चे स्कूल के लिए तैयार हो रहे थे, तब मैंने जानबूझकर टीवी चालू कर दिया। मैंने उनसे कहा कि हमें (भारत सरकार को) आतंकवादियों से लड़ना है। वे बुरे लोग हैं।
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India-Pak: बच्चों को मौजूदा घटनाक्रम के बारे में शांति से समझाएं
भाटिया को आश्चर्य हुआ कि स्कूल में मॉक ड्रिल के बाद उनके बच्चे उत्साह से उनके पास आए। “मेरे छोटे बेटे ने मुझे बताया, ड्रिल के दौरान उसके सभी सहपाठी टेबल के नीचे बैठकर बातें कर रहे थे। मुझे अपनी हंसी रोकनी पड़ी और समझाना पड़ा, ‘यह बहुत गंभीर स्थिति है। आप इमरजेंसी में इस तरह बात नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा, “अगर माता-पिता अपने बच्चों को मौजूदा घटनाक्रम के बारे में शांति से समझाएं तो वे डरेंगे नहीं। बच्चे तभी डरते हैं जब वे तैयार नहीं होते, यह माता-पिता की गलती है। हमें अपने बच्चों को संवेदनशील बनाने और उन्हें जानकारी देने की जरूरत है।”
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ भावना बर्मी ने कहा कि आपातकालीन परिस्थितियों में, विशेषकर संभावित खतरों से जुड़े अभ्यासों में, यह याद रखना जरूरी है कि कक्षा 5 तक के बच्चे अभी भी भावनात्मक रूप से विकसित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “खतरे के बारे में उनकी धारणा बड़े बच्चों या वयस्कों से बहुत अलग होती है। उम्र के हिसाब से उचित स्पष्टीकरण के बिना अचानक मॉक ड्रिल, अलार्म, लॉकडाउन या ब्लैक आउट के संपर्क में आने से उनमें आसानी से चिंता, भ्रम या डर की प्रतिक्रियाएं पैदा हो सकती हैं।”