प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव के निष्काषित मंत्रियों की ओर से आई आपत्तिजनक टिप्पणी पर बवाल लगातार बढ़ रहा है। भारत की ओर से इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया आई है और मालदीव सरकार ने भी अपने मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया है। जिनमें उपमंत्री अब्दुल्ला महज़ूम माजिद, मरियम शिउना और मालशा शरीफ शामिल थे। विदेश मंत्रालय ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया है।

मामला इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भारत के एक्स यूजर्स मालदीव का बहिष्कार करने और लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देने की अपील कर रहे हैं। दरअसल भारत की ओर से बढ़ी तादाद में लोग मालदीव की यात्रा पर जाते रहे हैं। इस दौरान विवाद के बीच EaseMyTrip ने मालदीव की सभी उड़ानों की बुकिंस को निलंबित कर दिया है। दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा वहां के पर्यटन को बढ़ावा देने की ओर एक कदम था।

क्यों है इतना विवाद?

मोटे तौर पर देखा जाए तो ताजा विवाद की वजह मालदीव के मंत्रियों के बयान थे, जिनमें भारत पीएम को लेकर आपत्तीजनक बातें कही गई थीं। हालांकि मालदीव के कई नेताओं ने इन बयानों को सिरे से नकार दिया और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि यह सरकार का बयान ना माने जाए।

अब सवाल यह है कि आखिर पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद ही क्यों मालदीव के मंत्रियों ने यह बयान दिए। दरअसल मालदीव और लक्षद्वीप दोनों ही जगह का पर्यटन को लेकर काफी महत्व है।

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले यह कहा जा रहा है कि मालदीव के स्थानीय अखबारों ऐसी खबरें चलाई हैं कि जिसमें कहा गया कि भारत ने मालदीव में पर्यटन के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। मामला इतना बढ़ा कि मालदीव और लक्षद्वीप के पर्यटन में तुलना की जाने लगी तो यहां से यह समझना आसान है कि पूरा मामला पर्यटन से जुड़ा है।

मालदीव में भारत विरोधी भावनाएं नई नहीं हैं। 2020 में भी इस तरह का विवाद तब सामने आया था जब मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया गया था। यह सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और मालदीव की ओर से इस संबंध में कई बयान दिए गए थे।