देश में पिछले एक दशक के दौरान हेट क्राइम के मामले बढ़े हैं। इनमें भी धार्मिक आधार पर हेट क्राइम के (287 में 262) मामलों में जनवरी 2009 से अप्रैल 2019 तक 91 फीसदी की बढ़ोतरी एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुई है। फैक्टचेकर डाटाबेस के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के सत्ता में आने के बाद से हेट क्राइम की 262 घटनाए हुई हैं।

मई 2014 से अप्रैल 2019 तक धार्मिक आधार से प्रेरित हिंसा में 99 लोग मारे गए जबकि कम से कम 703 घायल हो गए। ये घटनाए देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में हुईं। इनमें असम, बिहार, दिल्ली, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड शामिल हैं।

फैक्टचेकर ने हेट क्राइम के डाटा का एनालिसिस में पाया कि इनमें से आधे  से अधिक राज्यों में  हेट क्राइम के मामले भाजपा के राज्यों की सत्ता में आने के बाद हुए। 12 राज्यों में 8 राज्यों में भाजपा ने साल 2014 के आम चुनाव के बाद सरकार बनाई।

73 फीसदी मामले अल्पसंख्यकों के खिलाफः 24 मई 2014 से लेकर 30 अप्रैल 2019 तक हेट क्राइम के सबसे अधिक 73 फीसदी मामले अल्पसंख्यकों के खिलाफ थे। देश में मुसलमानों की आबादी 14 फीसदी है जबकि इस समुदाय के सबसे अधिक 61 फीसदी लोग हेट क्राइम के पीड़ितों में शामिल हैं। वहीं देश में 11 फीसदी आबादी वाले ईसाई समुदाय से 2 फीसदी लोग पीड़ित है।

गोरक्षा सबसे आम कारणः साल 2014 के बाद हेट क्राइम के मामलों में गोरक्षा सबसे आम कारण के रूप में सामने आया है। फैक्टचेकर डाटा के अनुसार पिछले पांच साल में हेट क्राइम के ऐसे 77 मामले दर्ज किए गए। मई 2014 से 30 अप्रैल 2019 तक गाय से संबंधित हेट क्राइम के 124 मामले दर्ज किए गए। दूसरा सबसे आम कारण में अंतर समुदाय (15 फीसदी) संबंध थे। इसके बाद हेट क्राइम के कारणों में सांप्रदायिक झड़प शामिल थे।

2009 से 2014 तक 25 घटनाएंः  पिछली सरकार में भी अल्पसंख्यक हेट क्राइम का निशाना बने थे। जनवरी 2009 से 23 मई 2014 तक हेट क्राइम की 25 घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं में 3 लोगों की मौत हुई और 17 लोग घायल हुए। इनमें 84 फीसदी अल्पसंख्यक निशाना बने। 2014 से पहले हेट क्राइम का सबसे आम कारण धर्म परिवर्तन (36 फीसदी) सामने आया था।