फ्रांस और भारत की दोस्ती कई दशक पुरानी है, ये एक ऐसा मुल्क है जिसने तब भी भारत का साथ नहीं छोड़ा जब कई दूसरे देश बात करने से भी कतराने लगे थे। उसी देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अब भारत आ गए हैं। गणतंत्र दिवस की परेड मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए गए हैं। उनका यहां आना भारत-फ्रांस की पक्की दोस्ती की तस्दीक करता है। आइए चार प्वाइंट्स में समझते हैं भारत के लिए क्यों जरूरी फ्रांस

  1. भारत और फ्रांस की दोस्ती वैसे तो कई साल पुरानी है, लेकिन इसकी असल परीक्षा 1998 में हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए पोकरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद कई पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए, आलम ये था कि कोई राजदूतों से भी बात नहीं करना चाहता था। लेकिन तब फ्रांस एक ऐसे देश के रूप में सामने आया जिसने यूरोप में दूसरे देशों के विचारों को पीछे छोड़ते हुए भारत को हथियार देना जारी रखा। यानी कि उसने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
  2. भारत और फ्रांस के विचार भी एक दूसरे से मेल खाते हैं। कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर दोनों देश हमेशा साथ खड़े दिखे हैं। बात चाहे आतंकवाद की हो, जलवायु परिवर्तन की या फिर भारत के लिए यूएन काउंसिलं में स्थायी सदस्यता की, हर बार फ्रांस ने अपनी दोस्ती निभाने का काम किया है। इसके अलावा जब भारत ने 370 हटाने का काम किया था, फ्रांस ने मुखर होकर समर्थन किया था। ये भी एक कारण है कि फ्रांस, भारत के ज्यादा करीब माना जाता है।
  3. हथियार देने के मामले में भी फ्रांस काफी आगे रहा है। भारत रूस के बाद अगर सबसे ज्यादा हथियार किसी से लेता है तो वो फ्रांस है। इस मामले में दोनों देशों की दोस्ती आजादी के बाद से ही शुरू हो गई थी सबसे पहले 1953 में भारत ने फ्रांस से लड़ाकू विमान दासॉल्ट औरागन लिया था। इसके बाद 1956 में दासॉल्ट मिस्ट्रे के 4 विमान भी फ्रांस से ही लिए गए जिन्होंने पहले 65 और फिर 1971 के युद्ध में भूमिका निभाई। । हाल ही में राफेल विमान भी भारत को फ्रांस से ही मिला है।
  4. चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए भारत को इस समय फ्रांस की जरूरत है। ये बात किसी से नहीं छिपी कि हिंद महासागर में चीन की दखलअंदाजी बढ़ती जा रही है। बड़ी बात ये है कि भारत और फ्रांस दोनों के ही इस क्षेत्र के साथ रणनीतिक हित जुड़े हुए हैं। ऐसे में चीन को रोकने के लिए भारत को फ्रांस का साथ भी मिलने वाला है।