भारत और चीन के बीच लद्दाख पर पिछले तीन महीने से तनाव जारी है। पिछले कुछ दिनों में सैन्य स्तर की बातचीत के बाद चीन ने कुछ हिस्सों से अपनी सेना को टकराव वाली जगहों से पीछे हटाया है। हालांकि, पैंगोंग सो और गोगरा के कुछ इलाकों में अब भी चीनी फौज की तैनाती जारी है। इस बीच रविवार को दोनों देशों के बीच पांचवीं बार कमांडर स्तर की बैठक हुई। इसमें भारत ने चीन के सामने पैंगोंग के अलावा डेपसांग से भी पीछे हटने का मुद्दा उठाया।

सैन्य स्तर की इस वार्ता पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि रविवार को कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह औ दक्षिण शिनजियांग सैन्य डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख मेजर जनरल लियु लिन के बीच सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक रात 9.30 बजे खत्म हुई। 10 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में भारत ने चीन से लद्दाख के बाकी हिस्सों से पीछे हटने की भी मांग रखी।

बता दें कि बातचीत के बीच सीमा पर चीन की चालबाजियों पर भारत की कड़ी नजर है। हाल ही में एक सैन्य अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि भारतीय सेना एलएसी पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है, ताकि लंबे समय के लिए चीन का आमना-सामना करने के लिए तैयार रहा जा सके। चीन की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि ज्यादातर लोकेशन पर सेनाएं तनाव कम करने के लिए एक-दूसरे से कुछ दूर हुई हैं। हालांकि, भारत का कहना है कि पैंगोंग सो और पैट्रोलिंग पॉइंट 17ए में अभी टुकड़ियां पीछे नहीं हटी हैं।

जब तक चीनी सेना पीछे नहीं हटती, तक तक एलएसी पर तैनात रह सकते हैं भारतीय जवान: भारतीय सेना के एक अफसर ने हाल ही में कहा था कि लद्दाख में अतिरिक्त टुकड़ियों का जुटाव (जिनमें करीब 35 हजार सैनिक हैं) एलएसी पर अप्रैल जैसी स्थिति वापस लौटाने के लिए किया गया है। अभी भी सेना का लक्ष्य ‘स्टेटस क्वो’ (सीमा की पहले जैसी स्थिति) हासिल करना ही है। उन्होंने कहा कि हम अभी किसी भी तरह के आकस्मिक खर्च के लिए तैयार हैं। अगर जरूरत पड़ी तो सर्दियों में सैनिकों की तैनाती के लिए भी रसद और जरूरत के सामानों के इंतजाम किए जा रहे हैं। एक अन्य अफसर ने कहा कि लद्दाख में कम से कम एक अतिरिक्त डिवीजन को हर तरह की परिस्थिति के लिए रखा ही जाएगा। उन्होंने चीनी गतिविधियों के हिसाब से अतिरिक्त टुकड़ियों की तैनाती की बात से भी इनकार नहीं किया।