भारत-चीन सीमा विवाद के बीच बीते रविवार (5 जुलाई, 2020) को दोनों पक्षों में विशेष प्रतिनिधि-स्तरीय वार्ता हुई है। इसके बाद दोनों पक्षों के सैनिक गलवान घाटी में पीछे हट गए। बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों की झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चीनी पक्ष को भी खासा नुकसान उठाया पड़ा था। इस घटना के बाद चीन ने दोनों देशों के बीच वार्ता का प्रस्ताव दिया था।
द इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि चीन ने अन्य चैनलों के साथ-साथ गलवान घाटी में तनावपूर्ण स्थिति को हल करने के लिए एसआर-स्तरीय वार्ता का प्रस्ताव रखा था। भारतीय पक्ष ने कहा कि राजनीतिक और सैन्य चैनल स्थिति को डी-एस्कलेट करने के लिए ‘उपयुक्त’ थे। इसमें भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र शामिल हैं। मगर चीन ने एसआर-स्तरीय वार्ता पर जोर दिया ताकि कोई सार्थक हल निकल कर आए। ऐसा तब था जब चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल के बैठक निर्धारत थी।
वार्ता के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि कि दोनों पक्षों ने वर्तमान में सीमा की स्थिति को आसान बनाने और सकारात्मक सामान्य समक्ष पर गहन चर्चा की। बता दें कि सीमा वार्ता के लिए डोवाल और वांग एसआर हैं और दोनों साल 2018 और 2019 में मिल चुके हैं। एसआर-स्तरीय वार्ता के लिए बीजिंग के आग्रह पर नई दिल्ली ने तर्क में योग्यता देखी कि निचले स्तर पर कोई भी प्रतिबद्धता सीमाएं हो सकती हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते दो सप्ताह तक क्वारंटाइन रहने के बाद पिछले सप्ताह कार्यालय लौटे डोभाल ने वांग के साथ 5 जुलाई की बातचीत निर्धारित की।
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हालांकि एसआर-स्तरीय वार्ता के बाद चीन अभी भी शांतिपूर्ण रवैया नहीं दिखा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बीते सोमवार को कुछ चीनी सैनिक फिंगर चार से फिंगर पांच की ओर बढ़े। इसके अलावा पैंगोंग त्सो में कुछ समय बाद दोनों सेनाओं में स्थिति सामान्य होनी की संभावना है।