भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की तकरार और बढ़ सकती है। मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत ने कभी भी 1959 में एकतरफा रूप से परिभाषित की गई तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा को स्वीकार नहीं किया, यह रुख लगातार बरकरार रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह चीन को भी पता है।
भारत ने साथ ही कहा कि पड़ोसी देश तथाकथित सीमा की ‘‘अपुष्ट एकतरफा’’ व्याख्या करने से बचे। पूर्वी लद्दाख में लगभग पांच महीने से चले आ रहे गतिरोध के बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग एलएसी की अवधारणा के बारे में 1959 के अपने रुख को मानता है। चीन के बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मुद्दे पर मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘भारत ने कभी भी 1959 में एकतरफा रूप से परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा को स्वीकार नहीं किया है। यह स्थिति बरकरार रही है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं।’’
इससे पहले वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज है जहां “न युद्ध न शांति” की स्थिति है। भदौरिया ने कहा कि वायुसेना ने स्थिति पर तेजी के साथ प्रतिक्रिया दी है और वह क्षेत्र में किसी भी “दुस्साहस” का जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
उन्होंने आगे कहा कि, “हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज, न युद्ध न शांति की स्थिति है। जैसा कि आप जानते हैं हमारे सुरक्षा बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार हैं।