भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले करीब एक महीने से सीमा को लेकर तनाव की स्थिति है। कमांडर स्तर की बातचीत के बाद यहां दोनों के बीच टकराव कम होता दिखाई दिया है। हालांकि, सैन्य सूत्रों ने बताया है कि भारत-चीन सेना के बीच सिर्फ लद्दाख स्थित एलएसी पर ही तनाव की स्थिति नहीं थी, बल्कि पिछले एक महीने में दोनों देश 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तीन जगह अपनी सेनाओं को आगे बढ़ा चुके हैं।

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, बाकी जगहों पर दोनों देशों की सेनाओं की मौजूदगी बढ़ी जरूर है, लेकिन ये पूर्वी लद्दाख के टकराव जैसा नहीं था, हालांकि, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सेक्टर में सेनाओं ने अपनी पोजिशन गहरी और मजबूत की है। बताया गया है कि यह सब मई से ही शुरू हो गया था। हालांकि, लद्दाख की तरह बाकी सेक्टर्स में अभी तक दोनों सेनाएं आमने-सामने नहीं आई हैं।

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सूत्रों का कहना है कि चीन ने लद्दाख के अलावा एलएसी के दूसरे सेक्टरों में टुकड़ियों की तैनाती बढ़ाई है। इसी के मद्देनजर भारत ने भी सेना की मौजूदगी बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि, यह 6 जून को हुई कमांडर स्तर की बैठक से पहले और सीमा से कुछ दूरी पर हुआ है, जबकि लद्दाख में दोनों सेनाओं ने 10 हजार सैनिक तैनात किए हैं। भारत की तरफ से सैनिकों को बढ़ाने की कवायद चीन के लद्दाख पर अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद हुई है। चीन अब तक इन जगहों पर सैनिकों के साथ सैन्य साजो-सामान भी ला चुका है।

6 जून को कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के मेजर जनरल लियु लिन की मुलाकात के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने कुछ हिस्सों से पीछे हटने का फैसला किया है। इनमें गलवान एरिया और हॉट स्प्रिंग एरिया शामिल हैं। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पैंगोंग सो लेक के पास फिंगर एरिया में अभी भी चीन सेना पीछे नहीं हटी है। माना जा रहा है कि सीमा से दोनों ही सेनाएं अलग-अलग फेज की बातचीत के बाद पीछे हटेंगी।