भारत और चीन के बीच लद्दाख में बढ़ते तनाव पर अब सरकार निर्णायक मोड पर आ चुकी है। सरकार ने सेना को आपात युद्ध स्टॉक बढ़ाने के लिए पूरे अधिकार दे दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को तीनों सर्विस (थल, वायु और नौसेना) के साथ सहयोग कर के उनकी जरूरतों के बारे में जानकारी लेने के लिए कहा गया है। साथ ही उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
बता दें कि सोमवार रात भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गलवान घाटी पर मुठभेड़ हुई थी। दोनों सेनाओं के बीच गोलियां नहीं चलीं। लेकिन लोहे के तार से बंधी रॉड के हमले, पत्थरबाजी और हाथापाई में दोनों देश के सैनिकों की जानें गई हैं। जहां भारत ने एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की शहादत की बात कबूली है, वहीं चीन ने अब तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है। आलम यह है कि चीनी मीडिया ने भी इस खबर को पूरी तरह दबा दिया है।
भारतीय सेना का वो बाहुबली, जिसने 1300 सैनिकों को किया था ढेर
भारतीय अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, भारत लद्दाख में पहले बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने के पक्ष में है। हालांकि, चीन के धोखे के बाद अब भारत सरकार दुश्मन के लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नौसेना को मलक्का जलडमरूमध्य में भी तैयारियां पूरी रखने के लिए कहा गया है। इसके अलावा पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी डिप्लॉयमेंट के निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा एयरफोर्स को भी जरूरी तैयारी करने को बोला गया है। बताया गया है कि फाइटर जेट्स को चीन की तरफ फॉरवर्ड बेस की तरफ बढ़ाया गया है।
सेना के लिए फिर से चौंकाने वाली रही चीन की प्रतिक्रिया
सूत्रों का कहना है कि भारत ने मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद गलवान घाटी के मामले को पूरी तरह सुलझाने के बाद ही पैंगोंग सो पर उठे विवाद को खत्म करने की बात की थी। इसके बाद चीनी सेना कुछ पीछे चली गई थी। हालांकि, उसने अपने टेंट और कुछ निर्माण कार्य नहीं हटाए थे। इस पर भारत की तरफ से आपत्ति जताई गई थी। बताया गया है कि सोमवार रात को एलएसी के पास जो कुछ हुआ वह भारतीय सेना के लिए चौंकाने वाला था। ऐसे में अब सरकार बातचीत के दौरान भी चीनी सेना को किसी तरह का मौका देने के मूड में नहीं है।