भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में बहुत से जख्म मिले। बंटवारे में दोनों देशों से लाख से ज्यादा लोगों की कत्लेआम के दौरान जान चली गई थी। इस आपदा से उबरने के लिए दोनों देशों को कई साल लग गए। जबकि करीब-करीब करोड़ों लोग इससे प्रभावित हुए थे। दोनों देशों के बीच भारत में मौजूद हर महत्वपूर्ण सामान को बांटा जा रहा था। इसी दौरान उस समय भारत के पास एक किताब थी जिसको लेकर पाकिस्तान अड़ गया। पाकिस्तान हर हाल में उस किताब को अपने पास रखना चाहता था। जबकि वही स्थिति भारत की भी थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के अड़ जाने के बाद तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने उस किताब को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान किया। हम जिस किताब की बात कर रहे हैं उसका नाम ‘एनसायक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका’ था।

सिक्का उछाल कर हुआ था बग्गी का बंटवारा

बात बंटवारे की है। उस समय भारत ने पाकिस्तान जमीन ही नहीं दी बल्कि बहुत सारे रुपये, जहाज, हथियार, बंदूक, ट्रेन, बस, ट्रक के अलावा बहुत से कॉपी और किताबों का बंटवारा हुआ। वहीं इस दौरान बग्घी का भी बंटवारा हुआ। जिसका बंटवारा सिक्का उछाल कर किया गया था। उस दौरान सिक्का भारत के पक्ष में आया था इस वजह से बग्घी भारत के हिस्से आ गया।

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इसी दौरान एनसायक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका को लेकर पाकिस्तान के हिमायती जिन्ना अपना हक जताने लगे। अंतत: इस किताब को दो भाग कर दिया गया। इसको लेकर विजय लक्ष्मी बालाकृष्णनन ने अपनी किताब ‘Growing Up and Away: Narratives of Indian Childhoods: Memory, History, Identity’ में लिखती है कि एनसायक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका को दो हिस्से कर दिए गए। इसके साथ ही उस समय लाइब्रेरी में मौजूद डिक्शनरी को भी दो हिस्से कर दिया गया। A से लेकर K तक भारत के हिस्से मिला जबकि बाकी बचा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से गया।

हालांकि बंटवारे के दौरान एक मात्र सामान शराब ही था जिसको पाकिस्तान ने लेने से इनकार कर दिया। शराब को लेकर पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि इस्लाम में शराब हराम है। इसलिए उन्होंने शराब लेने से मना कर दिया।