राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और नागरिकता कानून (CAA) को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के कुछ हिस्सों में इस कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई लोग मारे गए हैं। मेरठ में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम पांच नागरिकों की मौत हो गई। मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगया है कि पुलिस ने उन पर मृतकों को जल्दी और गुपचुप दफनाने का दबाव डाल था।
20 दिसंबर को ज़हीर मोहम्मद नाम का एक शख्स जो लेबर का काम करता था, घर के पास बीड़ी लेने के लिए गया था। उस वक़्त शहर में हर जगह प्रदर्शन हो रहे थे और जिस दुकान में ज़हीर बीड़ी लेने गया था वहां पास में पुलिस तैनात थी। यह देखते हुए दुकान की 40 वर्षीय मालकिन गुलशन ने शटर बंद करने का फैसला किया। लेकिन ज़हीर ने उसे बीड़ी का एक बंडल देने को कहा। गुलशन ने उसे एक बीड़ी का बंडल दिया जिसके बाद ज़हीर पास में खड़ा होकर बीड़ी पीने लगा।
कुछ देर के बाद एक गोली सीधा ज़हीर के सिर पर आ लगी और वह फर्श पर गिर गया। गुलशन ने कहा, “अगर जहीर नहीं होता, तो शायद गोली मुझ पर लग जाती।” वह नहीं जानती कि वह गोली किसने चलाई, लेकिन निश्चित है कि यह पुलिस का काम है। गुलशन ने बताया कि जहीर एक साधारण व्यक्ति था। उसे विरोध प्रदर्शन के बारे में कुछ नहीं पता था। पांच दिन बाद, बुधवार को, सभी मृतकों के परिवारों को पुलिस ने तत्काल, गुप्त रूप से, उनके पड़ोस से दूर, और उनके कुछ करीबी लोगों की अनुपस्थिति में उन्हें दफनाने के लिए मजबूर किया।
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ज़हीर के पिता मुंशी अहमद ने बताया कि ज़हीर को दफनाते वक़्त उनके परिवार में केवल चार सदस्य थे। हमने उनके शरीर को प्राप्त करने के दो घंटे के भीतर, शनिवार करीब 6.30 बजे दफना दिया। हमने उसका क्रियाकरम करने के लिए पुलिस से समय मांगा था। लेकिन पुलिस ने कहा कि अगर कोई बवाल होता है या कोई गड़बड़ी हुए तो उसके लिए ज़हीर के पिता को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। पुलिस ने ही उसकी कब्र खोदी और वे वहां सैकड़ों की तादाद में तब तक खड़े रहे जबतक हमने उसे दफन नहीं कर दिया। मुंशी ने कहा कि मैं अपने बेटे की लाश एक बार घर भी नहीं ला सका।